मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) को गैरकानूनी संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त कारणों की जांच के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम न्यायाधिकरण का गठन किया है। न्यायाधिकरण इसके गुटों, शाखाओं और अग्रणी संगठनों की भी जांच करेगा। गुवाहाटी उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति माइकल जोथानखुमा न्यायाधिकरण के अध्यक्ष होंगे। इससे पहले, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उल्फा पर प्रतिबंध को पांच साल के लिए बढ़ा दिया था। मंत्रालय ने संगठन की आपराधिक गतिविधियों, जबरन वसूली और भारत से अलग होने के उद्देश्य से लगातार संलिप्तता का हवाला दिया। संगठन पर पहली बार 1990 में प्रतिबंध लगाया गया था और तब से प्रतिबंध को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है।
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News & Image Source: newsonair.gov.in