मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाले के गंदे पानी को प्राकृतिक विधि से साफ करने को बड़ा कदम बताया है। तकियाघाट पर चार नालों के गंदे पानी को राप्ती नदी में जाने से पहले शोधित कर साफ करने की प्राकृतिक विधि (फाइटोरेमेडिएशन) का शुभारंभ करते हुए कहा कि, जलशोधन की प्राकृतिक विधि से न सिर्फ नदियां साफ होंगी वरन करोड़ों रुपये भी बचेंगे। इस विधि से हर नाले के गंदे पानी को साफ किया जा सकता है। अधिकारियों ने नालों के गंदे पानी को साफ करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की स्थापना की बात कही थी। बताया था कि इस पर 110 करोड़ रुपये खर्च होंगे तो मैंने प्राकृतिक विधि से नाला की सफाई की व्यवस्था को कहा। इस विधि में सिर्फ दो करोड़ 70 लाख रुपये खर्च हुए हैं और आठ नालों का गंदा पानी अलग-अलग बोल्डर पीचिंग से गुजरते हुए राप्ती नदी में जाने से पहले साफ हो जा रहा है। इस व्यवस्था से हर वर्ष करोड़ों रुपये के बिजली खर्च और अनुरक्षण के नाम पर होने वाले खर्च से भी मुक्ति मिलेगी।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुख्य मार्ग से काफी दूर स्थित तकियाघाट के आसपास शुक्रवार सुबह से ही घना कोहरा छाया था लेकिन मुख्यमंत्री प्राकृतिक विधि से नाला सफाई की व्यवस्था का निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने इलाहीबाग की तरफ से आ रहे नाले को दूर तक पैदल चलकर देखा और पैदल ही कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। मुख्यमंत्री ने तकरीबन तीन किलोमीटर लंबे नाले से होकर गुजर रहे गंदे पानी की सफाई की प्रक्रिया भी समझी। नगर निगम ने अलग-अलग गिलास में पानी रखकर शुरुआत और राप्ती नदी में मिलने से पहले पानी की स्थिति के बारे में बताया। समारोह को महापौर डा. मंगलेश श्रीवास्तव और विधायक विपिन सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर भाजपा के महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता, भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के संयोजक भोला अग्रहरि, कालीबाड़ी के महंत रविंद्रदास आदि मौजूद रहे। तकियाघाट पर आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर में राप्ती नदी अविरल एवं निर्मल रहे, उसका जल स्वच्छ एवं सुंदर रहे, इसके लिए जो प्रयास नगर निगम ने किया है वह अत्यंत अभिनंदनीय और सराहनीय है। यह बहुत बड़ा काम हुआ है। यह कार्य उर्वरता और जीवन को बचाने के लिए हुआ है। सीएम ने कहा कि महापुरुषों ने जल को जीवन माना है। प्रदूषित जल के कारण गोरखपुर के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश में 1977 से लेकर 2017 तक 50 हजार मासूम बच्चे इंसेफ्लाइटिस एवं वेक्टरजनित रोगों के कारण काल के गाल में समा गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से स्वच्छ भारत मिशन पूरे देश में लागू हुआ। आज नमामि गंगे परियोजना के बाद प्रधानमंत्री की प्रेरणा से नदी संस्कृति को बचाने का कार्य शुरू किया गया है। गोरखपुर में भी हमारी सभ्यता एवं संस्कृति नदी के तट पर बसी है। गोरखपुर राप्ती नदी व रोहिन नदी के तट पर बसा है। जो नदी हमारी सभ्यता व संस्कृति की जननी है, उसे शुद्ध करने का कार्य किया जा रहा है। मुख्य अभियंता संजय चौहान ने बताया कि फाइटोरेमेडिएशन विधि से नालों की सफाई का काम जिस फर्म को दिया गया है वही तीन वर्ष तक अनुरक्षण भी करेगी।
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