मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मकर संक्रांति, पोंगल, बिहू और उत्तरायण के त्यौहार आज पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाए जा रहे हैं। यह त्यौहार फसल के मौसम और कृतज्ञता तथा एकजुटता की भावना का प्रतीक हैं।
मकर संक्रांति पर लोगों ने गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों में डुबकी लगाई। इस त्यौहार को देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण, असम में भोगाली बिहू और पश्चिम बंगाल में पौष संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को मकर संक्रांति, पोंगल, माघ बिहू और उत्तरायण की शुभकामनाएं दी हैं। श्री मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि ये त्यौहार सभी के जीवन में सफलता और खुशियाँ लाएँगे। उन्होंने कहा कि ये त्यौहार खुशी और एकजुटता की भावना में वृद्धि करेंगे।
तमिलनाडु में, तमिल कैलेंडर में थाई महीने का शुभारंभ वसंत ऋतु की फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। इसे दुनिया भर के तमिल लोग पोंगल के रूप में मनाते हैं।
आकाशवाणी संवाददाता ने बताया है कि चावल, मूंग दाल, गुड़ और घी से घरों के बाहर गन्ने के पंडाल के नीचे पारंपरिक मिट्टी के चूल्हे में रंगे हुए चावल को पकाकर पोंगल बनाया जाता है और आम और हल्दी के पत्तों के तोरण भी लगाया जाता है। तमिलनाडु में चावल की खेती करने वाले 28 जिले हैं, जिनमें से 27 उच्च उत्पादकता वाले जिले हैं और इस मामले में यह राज्य देश में पहले स्थान पर है।
तेलंगाना के पर्यटन मंत्री जे. कृष्णाराव और परिवहन मंत्री पी. प्रभाकर ने कल शाम हैदराबाद के परेड मैदान में संस्कृति उत्सव के भाग के रूप में तीन दिन के अंतर्राष्ट्रीय पतंग और मिष्ठान उत्सव का औपचारिक उद्घाटन किया।
तेलंगाना राज्य पर्यटन और संस्कृति विभाग ने इसका आयोजन किया है। जिसमें मनोरंजन, सांस्कृतिक विरासत और खानपान तथा व्यंजनों का मिलाजुला भव्य प्रदर्शन किया गया है। इस दौरान पतंगबाजी उत्सव में 19 देशों के 57 और भारत के 22 राज्यों के 58 पतंगबाज भाग ले रहे हैं।
समारोह में एक हजार तीन सौ स्टॉल लगाए गए हैं जिन पर संपूर्ण भारत और विदेशों के आटे से बने पकवान प्रस्तुत किये जा रहे हैं। इसमें हथकरघे से बनी सामग्री भी प्रदर्शित की जा रही है और शिवतांडवम्, भरतनाट्यम, कुच्चीपुडी और डप्पूडोलू वाद्ययंत्रों से सज्जित जनजातीय नृत्यों के कलाकारों के प्रदर्शन भी आकर्षण का बड़ा केंद्र हैं।
त्रिपुरा में मकर संक्रांति का पर्व आज पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ शुरू हुआ। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने तड़के नदियों और जलाशयों में पवित्र डुबकी लगाई और सूर्य देव को प्रणाम कर नई फसल के चावल से बने व्यंजनों का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया।
राज्य के कई क्षेत्रों में महिलाओं ने चावल के दानों, पानी और अन्य रंगों को मिलाकर अल्पना और रंगोली बनाकर अपने आंगन को सजाया है।
बंगाली कैलेंडर वर्ष के अनुसार पौष का आखिरी दिन और माघ का पहला दिन फसल कटाई के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
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News & Image Source: newsonair.gov.in