वंदना परिहार(Spl Correspondent)
DailyAawaz Exclusive Story:
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: आज आठ मार्च है और हम सभी मिलकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं तो मन में बार-बार यह एक विचार आ रहा था कि कि यदि महिलाओं को एक या दो शब्द में परिभाषित करना हो तो “सृजन और शक्ति” कहना शायद कुछ हद तक सही हो क्योंकि महिलाओं की क्षमता असीमित है और उनके अंदर सृजन की ताकत है, यदि महिलाएं किसी विचार रूपी बीज का अपने अंदर सृजन कर लेती हैं तो वह पूरी शक्ति से उसे वृक्ष में परिणत कर देती हैं।
भारत में महिलाओं का शिक्षित होना सशक्तिकरण का प्रथम चरण है। शिक्षा से उनमें आत्मविश्वास बढ़ा और वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती गई हैं, और यह जागरूकता उनके मानसिक, व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर के विकास में बहुत प्रभावी रही जिसके प्रभाव से आज महिलाएं हर क्षेत्र में कंधा से कंधा मिलाकर अग्रणी हैं।
आजादी के बाद पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले लैंगिक असमानता और बुरी प्रथाओं को हटाने के लिये सरकार के द्वारा कई सारे संवैधानिक और कानूनी अधिकार बनाए गए और लागू किए गए हैं, जिसके फलस्वरूप आज महिलाएं हर क्षेत्र में चाहे वह स्पेस या आई टी सेक्टर या फिर राजनैतिक या फिर प्रशासनिक सभी में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने में वे कामयाब हो रही है और वे हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ बराबरी से सफलता पूर्वक कार्य कर रही है।
भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कई सारी योजनाएं भी चलाई गई हैं। इनमें से बहुत सारी योजनाएं रोजगार, कृषि और स्वास्थ्य जैसी चीजों से सम्बंधित हैं इस के वावजूद अभी भी महिला सशक्तिकरण पूर्ण रूप से सफल नहीं है ग्रामीण इलाकों में अभी भी महिलाओं को उनके अधिकार प्राप्त नहीं है अतः इस वजह से महिला एंव बाल विकास कल्याण मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा भारतीय महिलाओं के सशक्त करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं इस आशा के साथ चलाई जा रही है कि एक दिन भारतीय समाज में महिलाओं को पुरुषों की ही तरह प्रत्येक अवसर का लाभ प्राप्त होगा इसी संदर्भ में यहां पर हम कुछ योजनाओं का जिक्र कर रहे हैं।
1. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना
2. उज्जवला योजना
3. पंचायती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण
4. सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन
5. महिला हेल्पलाइन योजना
6. महिला शक्ति केंद्र
7. सुकन्या समृद्धि योजना
साथ ही साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संसद द्वारा भी कुछ अधिनियम पास किए गए हैं। वे अधिनियम इस प्रकार हैं –
1. अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956
2. दहेज रोक अधिनियम 1961
3. एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट 1976
4. मेडिकल टर्म्नेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987
5. लिंग परीक्षण तकनीक एक्ट 1994
6. बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006
हालांकि, बीते दशकों में महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी क्षमता का लोहा मनवाया है फिर चाहे वह कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स की दूर आसमान में तारों से आगे अंतरिक्ष की यात्रा हो, पी टी उषा, मैरी कॉम का खेल में परचम लहराना, या फिर किरण बेदी का पुलिस सेवा में योगदान इन महिलाओं ने साबित कर दिया है कि जब महिलाओं को अवसर मिलता है, तो वे हर चुनौती को पार कर सकती हैं। भले ही आज के समाज में कई भारतीय महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, प्रशासनिक अधिकारी, डॉक्टर, वकील आदि बन चुकी हो, लेकिन फिर भी काफी सारी महिलाओं को आज भी सहयोग और सहायता की आवश्यकता है।
एक सशक्त महिला केवल परिवार की आधारशिला नहीं होती, बल्कि वह देश की प्रगति का स्तंभ भी बनती है। आइए, हम सभी मिलकर ऐसा बेहतर समाज बनाएं, जहां पर हर महिला अपने सपनों को पंख दे सके और सशक्त होकर एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सके।
टीम डी ए की ओर से सभी महिलाओं को आने वाले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं !!! 🙏
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