छतरपुर में पराली जलाने से भीषण आग, तीन दर्जन घर जलकर हुए राख

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छतरपुर: मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पराली जलाना जमीन के साथ साथ किसान के परिवार के लिए भी घातक साबित हो रहा है। ताजा मामला में छतरपुर के खेतों में आग लग गई। इस आग का अंजाम बुरा हुआ। नरवाई की आग में एक 65 वर्षीय महिला की मौत हो गई। आग इतनी तेजी से फैली कि दो गांवों के तीन दर्जन से ज्यादा घर जलकर राख हो गए।

शाम को छतरपुर जिले के रामटोरिया ग्राम पंचायत क्षेत्र में हुई। मध्य प्रदेश में फसल अवशेष जलाने के मामले देश में सबसे ज्यादा हैं। यहां पंजाब और हरियाणा से भी ज्यादा पराली जलाई जाती है। आग लगने से दो बच्चे भी घायल हो गए, लेकिन अब वे खतरे से बाहर हैं।
आग ने गांवों को चपेट में लिया

खेतों में पराली जलाने से उठी आग ने छल्ला और माजरा चिरोला गांवों को अपनी चपेट में ले लिया। माजरा चिरोला में लगभग 30 घर और छल्ला में 10 से 15 घर क्षतिग्रस्त हो गए। आग लगने की वजह से इलाके में खड़ी फसल भी जल गई। दमकल गाड़ियों ने लगभग चार घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। नुकसान का सर्वे पूरा कर लिया गया है।
तेज हवाओं ने आग को फैलाया

अधिकारियों ने बताया कि तेज हवाओं के कारण आग तेजी से फैली। स्थानीय लोगों ने पुलिस को बताया कि कटाई के बाद घरों में रखा गेहूं और कृषि उपकरण भी जल गए। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पराली जलाने में एमपी आगे

सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि मध्य प्रदेश फसल अवशेष जलाने से होने वाले प्रदूषण में सबसे आगे है। इसके बाद राज्य सरकार ने पराली जलाने पर रोक लगा दी है। सरकार ने किसानों को ऐसा करने से रोकने के लिए यह भी कहा है कि एफआईआर दर्ज की जाएगी और उन्हें सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का कोई लाभ नहीं मिलेगा।
नरवाई जलाना पर्यावरण के लिए भी बुरा

पराली जलाने से पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है। इससे निकलने वाला धुआं हवा को जहरीला बना देता है। सांस लेने में तकलीफ होती है और कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। सरकार किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक कर रही है। उन्हें पराली का सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
पराली कई तरह उपयोगी

सरकार किसानों को पराली से खाद बनाने और उसे पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल करने के लिए कह रही है। इससे किसानों को भी फायदा होगा और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता भी कम हो जाती है। इसलिए, किसानों को पराली जलाने से बचना चाहिए।

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News & Image Source: khabarmasala

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