मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा है कि मनुष्य सब कुछ विकसित कर सकता है, लेकिन प्रकृति का विकल्प नहीं बना सकता। इसलिए प्रकृति के दोहन के साथ-साथ संरक्षण पर भी ध्यान देना जरूरी है। श्री यादव ने आज जोधपुर में मरुस्थलीकरण एवं सूखा निरोधक रणनीतियों पर राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि विकास के लिए प्रकृति के अत्यधिक दोहन के कारण धरती का तापमान बढ़ रहा है, इसलिए हमें कृषि, कारखानों और औद्योगिक विकास के लिए जो भी उत्पादन करना है, उसमें पर्यावरण का ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि नदियों, पहाड़ों, समुद्रों जैसे प्राकृतिक संसाधनों को बचाते हुए हमें संतुलन के साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ना होगा।
श्री यादव ने कहा कि धरती को बचाने के लिए खाद और कीटनाशकों का प्रयोग भी कम करना होगा। यदि समय रहते प्रकृति संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में मनुष्य की खाद्य शृंखला भी प्रभावित होगी। उन्होंने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान का जिक्र करते हुए अपील की कि आमजन इस अभियान में अधिक से अधिक संख्या में भाग लें।
केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा पीढ़ी दर पीढ़ी दी जाती है। उन्होंने कहा कि विज्ञान के साथ प्रकृति का संतुलन बनाए रखना होगा और पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेनी होगी।
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News & Image Source: newsonair.gov.in