इजरायल ने हमले में ईरान के 14 वैज्ञानिकों को मार डाला, परमाणु कार्यक्रम को झटका

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इजरायल ने हमले में ईरान के 14 वैज्ञानिकों को मार डाला, परमाणु कार्यक्रम को झटका

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु संयंत्रों को निशाना बनाकर किए गए हमलों में कम से कम 14 विज्ञानियों की जान गई है। इससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को झटका लगा है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल ईरान के कार्यक्रम को कुछ पीछे तो धकेल सकता है, लेकिन उसे परमाणु बम बनाने से नहीं रोक सकता। इजरायल के फ्रांस में राजदूत जोशुआ जार्का ने कहा कि इन विज्ञानियों की हत्याओं के कारण ईरान के लिए अपने बचे हुए परमाणु बुनियादी ढांचे और सामग्री से हथियार बनाने की संभावना लगभग असंभव हो जाएगी। जार्का ने बताया कि इजरायली हमलों में कम से कम 14 भौतिकज्ञों और परमाणु इंजीनियरों को मार डाला गया। उधर, इजरायली सेना ने कहा कि इनमें से नौ वैज्ञानिकों की हत्या 13 जून को इजराइल के पहले हमले के दौरान की गई थी। ये वैज्ञानिक परमाणु हथियारों के विकास में दशकों का अनुभव रखते थे और इनमें रसायन, सामग्री और विस्फोटकों के विशेषज्ञ शामिल थे। हालांकि, परमाणु विश्लेषकों का कहना है कि ईरान के पास अन्य वैज्ञानिक हैं जो उनकी जगह ले सकते हैं। यूरोपीय सरकारों का कहना है कि केवल सैन्य बल से ईरान के परमाणु ज्ञान को समाप्त नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि वह बातचीत के जरिये मुद्दे का समाधान चाहती हैं।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पश्चिम एशिया में ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष में अचानक शामिल होने और ईरान के परमाणु केंद्रों को ध्वस्त करने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब ईरान में युद्ध के आदर्श अंत की पटकथा लिखने की कोशिश कर रहे हैं। ईरान पर इजरायली हमलों के बाद कई दिनों तक इस बात पर संशय बना रहा कि क्या ट्रंप इजरायल की मदद करेंगे, लेकिन ट्रंप ने चौंकाते हुए अचानक ईरान पर सीधा हमला कर दिया। परमाणु केंद्रों पर बमबारी के बाद उन्होंने युद्धविराम समझौते की भी घोषणा कर दी। ट्रंप ने तो इस संघर्ष को ”द 12 डे वार” – नाम भी दे दिया है। अब सवाल यह है कि क्या बाकी दुनिया उसी अनुसार काम करेगी जैसी पटकथा ट्रंप ने लिखी है।युद्ध विराम पहले ही अस्थायी साबित हो चुका है। युद्ध विराम लागू होने के बाद भी इजरायल और ईरान एक दूसरे पर बमबारी की। ट्रंप ने मंगलवार को दोनों देशों से लड़ाई बंद करने को कहा। युद्ध विराम की शर्तें अभी भी अस्पष्ट हैं। इस बात को लेकर भी प्रश्न बने हुए हैं कि हमलों में ईरान के परमाणु कार्यक्रम का कितना हिस्सा बच गया, जबकि ट्रंप ने दावा किया था कि यह पूरी तरह नष्ट हो गया है। इसके अतिरिक्त, ईरान का नेतृत्व भी कमजोर पड़ सकता है, जिससे क्षेत्र में दशकों से चले आ रहे संघर्षों के स्थायी कूटनीतिक समाधान की संभावना भी खतरे में पड़ सकती है। फिलहाल ये मुद्दे ट्रंप के दिमाग से दूर हैं क्योंकि रिपब्लिकन राष्ट्रपति विदेश नीति के उस दांव से बेदाग निकलकर खुश हैं जिसे उनके पूर्ववर्तियों ने कभी आजमाया ही नहीं। गौरतलब है कि ट्रंप से पहले राष्ट्रपति रहे जो बाइडन, बराक ओबामा, जार्ज बुश और बिल क्लिंटन ने ईरान पर सैन्य हमले को जानबूझकर टाला था, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे अमेरिका पश्चिम एशिया में युद्ध में उलझ जाएगा।

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