मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पहलगाम आतंकी हमले के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच, वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का पहला जत्था बुधवार सुबह जम्मू से रवाना हो गया। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाई। साथ ही 38 दिवसीय यात्रा औपचारिक रूप से गुरुवार को शुरू होगी। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने बुधवार को पहलगाम और बालटाल में जुड़वां आधार शिविरों की ओर तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाई। पहलगाम में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले के बाद गंभीर सुरक्षा चिंताओं के कारण पहलगाम और बालटाल दोनों अक्षों से यात्रा मार्ग को नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया है। पहलगाम में हमला करने वाले आतंकवादियों का आज तक पता नहीं चल पाया है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुरक्षा के लिए अर्धसैनिक बलों की लगभग 600 अतिरिक्त कंपनियों को तैनात किया गया है, जो यात्रा सुरक्षा के लिए अब तक की सबसे बड़ी तैनाती है। पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में सुरक्षा स्थिति ने यात्रा को भी प्रभावित किया है। यात्रा पंजीकरण में गिरावट आई है, जबकि अधिकारी अधिक यात्रियों को आकर्षित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। सरकार ने जम्मू से बालटाल और पहलगाम में आधार शिविरों तक यात्रियों के लिए मुफ्त बस सेवा और अन्य व्यवस्थाएं की हैं। स्वास्थ्य, जल आपूर्ति और बिजली जैसे प्रमुख विभागों के सैकड़ों जम्मू-कश्मीर सरकार के कर्मचारी यात्रा व्यवस्थाओं में शामिल हैं, ताकि तीर्थयात्रा को सुचारू रूप से चलाया जा सके। बालटाल से गुफा मंदिर तक का रास्ता सबसे छोटा रास्ता है जो 14 किमी. का है, जबकि पारंपरिक पहलगाम मार्ग 48 किमी. लंबा है।
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