जबलपुर : मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एमपी के जबलपुर में हैदराबाद से आए विभिन्न नस्लों के घोड़ों की मौत का मामला अब पुलिस थाने पहुंच गया है। बीते 20 दिन में आधा दर्जन घोड़ों की मौत के बाद मरने वाले घोड़ों की कुल संख्या 19 पर पहुंच गई है। पशु पालन विभाग ने आखिर 4 महीने बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई हैं।
जबलपुर के रैपुरा ग्राम स्थित ठाकुर फार्म में हैदराबाद से चार महीने पहले 57 एलीट घोड़ों को व्यावसायिक उपयोग के लिए लाया गया था। इनमें से अभी तक कुल 19 घोड़ों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो चुकी है। हालांकि पूर्व में जब घोड़ों की मौतों पर हो—हल्ला मचा था उस समय जांच में एक घोड़े में ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण पाए गए थे। अब फिर से आधा दर्जन घोड़ों की मौत से पशु पालन विभाग सहित प्रशासन में हड़कंप मच गया है। आनन-फानन में रैपुरा फॉर्म संचालक और हैदराबाद की हेथा नेट इंडिया प्राइवेट कम्पनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।
पहले जारी की थी प्रेस रिलीज 23 मई को कलेक्टर ने प्रेस रिलीज जारी की थी और इसमें लिखा था कि 29 अप्रैल से 3 मई के बीच तिवारी घोड़े लेकर जबलपुर आए। उन्होंने ही इलाज के लिए आवेदन दिया। इसके बाद इलाज शुरू हुआ और ब्लड सैंपल हिसार लैब भेजे गए। उस समय 44 घोड़े स्वस्थ बनाए गए, जबकि 9 की रिपोर्ट आना बाकी थी। प्रेस रिलीज में मेनका गांधी के निर्देशों का भी जिक्र था।
क्यों पलटा प्रशासन 5 मई से 31 अगस्त तक प्रशासन और वेटरनरी विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। लेकिन 1 सितम्बर को एफआईआर दर्ज कर दी गई। इसमें कहा गया कि घोड़े जबलपुर लाने या रखने की अनुमति प्रशासन या ग्राम पंचायत से नहीं ली गई। मामला हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है, माना जा रहा है कि इसी वजह से चार महीने बाद कार्रवाई हुई।
हरियाणा स्थित अनुसंधान केंद्र भेजे थे सैंपल
पूर्व में जब एक महीने में 13 घोड़ों की मौत हुई थी उस समय बीमारी का पता लगाने के लिए घोड़ों के ब्लड सीरम सैंपल हरियाणा के हिसार स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र भेजे गए थे। अनुसंधान केन्द्र से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ एक घोड़े में ग्लैंडस के संभावित लक्षण पाए गए थे। घोड़े के स्वास्थ्य में सुधार होने के कारण जांच के लिए दोबारा सैंपल लैब में नहीं भेजे गए थे।
रैपिड रिस्पांस टीम गठित की गई थी
गौरतलब है कि हेथा नेट इंडिया प्राइवेट कम्पनी हैदराबाद से 29 अप्रैल से 3 मई के बीच 57 विभिन्न नस्लों के घोड़े को जबलपुर लाकर पनागर के रैपुरा ग्राम में रखा गया था। घोड़ों की तबीयत खराब होने के कारण केयरटेकर सचिन गुप्ता ने पशुपालन एवं डेयरी विभाग को सूचित किया था। घोड़ों में ग्लैंडर्स बीमारी की सम्भावना तथा जूनोटिक रोगों की निगरानी व निदान के लिए नेशनल एक्शन प्लान के तहत जिला कलेक्टर ने रैपिड रिस्पांस टीम गठित करने के आदेश जारी किए थे।
हाई कोर्ट में दायर हुई याचिका एनिमल लवर्स सिमरन इस्सर और अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। अब तक प्रशासन, वेटरनरी विभाग, राज्य सरकार और आरोपी पक्ष की ओर से करीब 1600 पेज का जवाब कोर्ट में दिया गया है। अगली सुनवाई अक्टूबर में होगी।
5 मई को सड़क के रास्ते लाए गए थे 57 घोड़े
हैदराबाद से थोरो, काठियावाड़ी और मारवाड़ी प्रजाति के 57 घोड़े सड़क के रास्ते 5 मई को जबलपुर लाए गए थे। सभी को रैपुरा गांव में रखा गया। इनकी देखरेख के लिए स्टड फॉर्म मालिक सचिन तिवारी ने कुछ डॉक्टर और सेवक भी रखे। लेकिन 7 मई से 13 मई के बीच इनमें से 8 घोड़ों की मौत हो गई।
उसके बाद एक-एक कर 5 और घोड़े मरे और एक और की मौत के साथ आंकड़ा 14 पहुंच गया। दो सप्ताह पहले तक बचे घोड़ों की संख्या 44 थी, लेकिन अब फिर 6 घोड़ों की जान चली गई और संख्या घटकर 38 रह गई है।
20 दिन में आधा दर्जन घोड़ों की फिर मौत
रैपुरा ग्राम स्थित ठाकुर फार्म में रखे गए घोड़ों में से विगत 20 दिनों में आधा दर्जन घोड़ों की मौत हो गई थी। अभी तक 57 में से 19 घोड़ों की मौत हो चुकी है। घोड़े के केयर टेकर सचिन तिवारी ने पशुपालन विभाग की टीम को बताया गया था कि घोड़ों की मौत का कारण परिवहन के तनाव से हुई थी। घोड़ों की मौत को गंभीरता से लेते हुए पशुपालन विभाग ने पनागर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई है।
केयर टेकर और कंपनी के खिलाफ FIR
पनागर थाना प्रभारी विपिन ताम्रकार ने मीडिया केा बताया है कि पशुपालन विभाग की शिकायत पर घोड़ों के केयर टेकर सचिन तिवारी, हेथा नेट इंडिया प्राइवेट कम्पनी के खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 11 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। घोड़ों की मेडिकल जांच तथा डॉक्टरों की सलाह के अनुसार उनका पुनर्वास पर निर्णय लेते हुए आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
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