मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, देश की छह दशकों की सेवा के बाद, भारतीय वायु सेना के दिग्गज लड़ाकू विमान मिग-21 को आज अंतिम विदाई दी गई। यह विदाई समारोह चंडीगढ़ एयरबेस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया। मिग-21 का संचालन एक औपचारिक फ्लाईपास्ट के साथ संपन्न हुआ। एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने बादल 3 के नाम से स्क्वाड्रन की अंतिम उड़ान भरी।
इस अवसर पर श्री सिंह ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में मिग-21 की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कई अवसर आए हैं जब मिग-21 ने अपनी निर्णायक क्षमता साबित की है। उन्होंने कहा कि मिग-21 राष्ट्रीय गौरव है और इसकी सबसे विशिष्ट विशेषता इसकी बहुमुखी प्रतिभा है। उन्होंने कहा कि अपने लंबे परिचालन जीवन के दौरान, मिग-21 ने हर तरह की भूमिका निभाई है। श्री सिंह ने मिग-21 से जुड़े सभी पायलटों, तकनीशियनों, ग्राउंड स्टाफ और सभी इंजीनियरों व कर्मचारियों को सलाम किया। उन्होंने कहा कि देश के पायलटों ने आसमान में सीमाओं की रक्षा की है और तकनीशियनों व ग्राउंड स्टाफ ने यह सुनिश्चित किया है कि विमान हर बार पूरी क्षमता से उड़ान भर सकें।
चीन-भारत युद्ध के बाद 1963 में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया मिग-21 देश का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था। इस विमान ने 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में निर्णायक भूमिका निभाई थी। इस विमान ने पाकिस्तानी वायु सेना को भारी नुकसान पहुँचाया था। विंग कमांडर दिलबाग सिंह ने 1963 में चंडीगढ़ में पहली मिग-21 स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया था। बाद में दिलबाग सिंह भारतीय वायु सेना के प्रमुख बने।
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News & Image Source: newsonair.gov.in