मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और प्रचार प्रतिनिधियों से चुनाव के दौरान कृत्रिम रूप से और एआई-जनित सामग्री का ज़िम्मेदारी से उपयोग करने का आग्रह किया है। एक परामर्श में, आयोग ने चुनाव प्रचार के लिए उपयोग या प्रसारित किसी भी कृत्रिम रूप से तैयार या एआई-संशोधित फोटो, ऑडियो या वीडियो को, एआई–जनित, डिजिटल रूप से बनी या सिंथेटिक सामग्री के रूप में चिन्हित करने को कहा है, जो दृश्य प्रदर्शन क्षेत्र के कम से कम 10 प्रतिशत हिस्से को कवर करती हो।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इसके अतिरिक्त, ऐसी सामग्री को मेटाडेटा या साथ में दिए गए कैप्शन में इसके निर्माण के लिए ज़िम्मेदार संस्था का नाम प्रमुखता से दर्शाना होगा। आयोग ने ऐसी किसी भी सामग्री को प्रकाशित या साझा करने पर भी रोक लगाने का आह्वान किया है जो गैर-कानूनी हो और किसी व्यक्ति की पहचान, रूप या आवाज़ को उसकी सहमति के बिना गलत तरीके से प्रस्तुत करती हो, और मतदाताओं को गुमराह करने या धोखा देने के इरादे से बनाई गई हो। निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के लिए इस तरह की किसी भी सामग्री को हटाने के लिए 3 घंटे का समय भी अनिवार्य किया है। राजनीतिक दलों को आयोग द्वारा मांगे जाने पर सत्यापन के लिए, निर्माता के विवरण और तिथि और समय सहित सभी एआई-जनित अभियान सामग्रियों का रिकॉर्ड भी रखना होगा।
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