प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज व्लादिवोस्तोक में आयोजित हो रहे 7वें पूर्वी आर्थिक मंच के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि, “मुझे खुशी है कि व्लादि-वोस्तोक में आयोजित किए जा रहे सातवें Eastern Economic Forum में आपसे वर्चुअल रूप से जुड़ने का मौका मिला। इसी महीने, Vladivostok में भारत के कांसुलेट की स्थापना के 30 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस शहर में कांसुलेट खोलने वाला पहला देश भारत ही था। उन्होंने कहा कि, 2019 में मुझे इस फोरम में रू-ब-रू हिस्सा लेने का मौका मिला था। उस समय हमने भारत की ‘Act Far-East’ नीति की घोषणा की थी। परिणामस्वरूप, Russian Far East के साथ विभिन्न क्षेत्रों में भारत का सहयोग बढ़ा है।”
पीएम मोदी ने कहा कि, “आज यह नीति भारत और रूस की ‘Special and Privileged Strategic Partnership’ की एक प्रमुख स्तम्भ बन गयी है। उन्होंने आगे बताया कि, भारत आर्कटिक विषयों पर रूस के साथ अपनी भागीदारी को मजबूत करने के लिए इच्छुक है। ऊर्जा के क्षेत्र में भी सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। ऊर्जा के साथ-साथ, भारत ने फार्मा और हीरों के क्षेत्रों में भी Russian Far East में महत्वपूर्ण निवेश किये हैं।”
पीएम मोदी ने कहा कि, “आज के वैश्वीकृत दुनिया में विश्व के किसी एक हिस्से की घटनाएं पूरे विश्व पर प्रभाव पैदा करती हैं। यूक्रेन संघर्ष और कोविड महामारी से ग्लोबल सप्लाई चेन्स पर बड़ा असर पड़ा है। खाद्यान्न, उर्वरक, और ईंधन की कमी विकासशील देशों के लिए बड़ी चिंता के विषय हैं। उन्होंने आगे बताया कि, यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत से ही हमने कूटनीति और वार्ता का मार्ग अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। हम इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए सभी शांतिपूर्ण प्रयासों का समर्थन करते हैं।”