मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए वृक्षारोपण प्रयासों की चल रही तैयारियों की समीक्षा के लिए नई दिल्ली में एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की, मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया। बुधवार को आयोजित बैठक में सचिव (ईएफसीसी) के साथ मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी और हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) शामिल हुए। प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, बैठक में एनसीआर में हरित आवरण बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक रूप से नियोजित, समुदाय-सहभागिता और अभिसरण-आधारित दृष्टिकोण अपनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस लक्ष्य को एक व्यापक ज़िला-वार कार्य योजना के माध्यम से प्राप्त करने की परिकल्पना की गई है। इसमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र शामिल होंगे, जिनमें वन भूमि के साथ-साथ अन्य सरकारी भूमि भी शामिल होगी और शहरी क्षेत्रों में शहरी स्थानीय निकायों के स्वामित्व वाले भूखंडों की पहचान की जाएगी। बैठक के दौरान, मंत्री ने 2026-27 के लिए वृक्षारोपण के क्षेत्रों की पहचान की प्रगति की समीक्षा की और एनसीआर राज्यों को विस्तृत जिलावार योजना बनाने को कहा। उन्होंने कुल वन क्षेत्रों, संरक्षित क्षेत्रों, चिड़ियाघरों (मौजूदा और प्रस्तावित), सामुदायिक वनों, राजस्व वनों, नगर वनों/नमो पार्कों (प्रस्तावित और अनुमोदित) की पहचान करने, वन भूमि की पहचान और मानचित्रण करने, नदियों, जल निकायों, आर्द्रभूमि और रामसर स्थलों के जलग्रहण क्षेत्रों, राजस्व भूमि, पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) सहित विभिन्न प्राधिकरणों के तहत अन्य सार्वजनिक स्थानों, मौजूदा वनस्पति और प्रबंधन एजेंसियों की गुणवत्ता के आधार पर उपरोक्त क्षेत्रों का वर्गीकरण करने, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में नर्सरियों और विभिन्न एजेंसियों के पास उपलब्ध संसाधनों के अभिसरण को शामिल करने के लिए कहा।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भूपेंद्र यादव ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सभी इको-क्लबों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें जागरूकता फैलाने तथा वृक्षारोपण एवं रखरखाव गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी के लिए चिह्नित किया जाना चाहिए। उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि प्राकृतिक इतिहास के साथ-साथ इसके क्षेत्रीय केंद्रों को भी वृक्षारोपण प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल किया जाना चाहिए। राज्यों से यह भी अनुरोध किया गया कि वे सभी मौजूदा नर्सरियों का मानचित्रण करें और उनकी वर्तमान उत्पादन क्षमता का भी आकलन करें और भविष्य की वृक्षारोपण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन्हें सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता का आकलन करें। विज्ञप्ति में कहा गया है कि आंकड़ों के आधार पर, राज्यों ने वृक्षारोपण के लिए उपयुक्त क्षेत्रों, किए जाने वाले वृक्षारोपण गतिविधियों के प्रकार और उन वृक्षारोपण गतिविधियों में शामिल होने वाले हितधारकों की पहचान करने के लिए एक विस्तृत स्थानिक विश्लेषण करने और जिलावार विस्तृत कार्य योजना तैयार करने पर सहमति व्यक्त की। केंद्रीय मंत्री ने राज्यों से आह्वान किया कि वे एनसीआर क्षेत्र में लागू न्यायालयों के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए सभी मौजूदा वन और वन्यजीव प्रबंधन योजनाओं का आकलन करें और अगले पांच वर्षों के लिए एक सूक्ष्म योजना तैयार करें, जिसमें प्रत्येक वर्ष वृक्षारोपण के लिए उठाए जाने वाले क्षेत्रों, कार्यान्वयन एजेंसियों, सामुदायिक भागीदारी के अवसरों, वृक्षारोपण हस्तक्षेपों की प्रकृति, नर्सरियों और गुणवत्ता वाले रोपण सामग्री के स्रोतों की पहचान की जाए तथा मौजूदा योजनाओं जैसे ग्रीन इंडिया मिशन, नगर वन योजना, ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम (जीसीपी), प्रतिपूरक वनीकरण निधि, राज्य निधि, मनरेगा, नदी पुनरुद्धार कार्यक्रम/योजनाएं और अन्य प्रासंगिक योजनाओं के तहत वित्त पोषण स्रोतों का मानचित्रण किया जाए। इसके अलावा, उन्होंने आक्रामक प्रजातियों से प्रभावित सभी क्षेत्रों की पहचान करने तथा ऐसे क्षेत्रों की पारिस्थितिकी बहाली को विकसित की जाने वाली सूक्ष्म योजनाओं का अभिन्न अंग बनाने पर जोर दिया। प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मंत्री महोदय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सूक्ष्म योजनाओं में उन विभागों और मंत्रालयों का भी उल्लेख होना चाहिए जिन्हें प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अभिसरण की आवश्यकता है, ताकि सभी हितधारकों के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित हो सके। उन्होंने ज़िलों में परियोजनाओं से संबंधित सभी चल रहे मुकदमों की सूची तैयार करने और प्रमुख नियामक बाधाओं को दूर करने के लिए संबंधित मुद्दों का आकलन करने पर ज़ोर दिया। यादव ने मंत्रालय के अधिकारियों से राज्यों द्वारा तैयार की गई ज़िलावार सूक्ष्म योजनाओं को समेकित करके राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए एक पंचवर्षीय हरित योजना तैयार करने को कहा। इस एकीकृत योजना के आधार पर, आवश्यक सुविधाएँ सुनिश्चित करने के लिए समन्वित कार्य शुरू किए जाएँगे, जिससे अन्य लाभों के साथ-साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा निगरानी में रखे जा रहे हरित वृक्षारोपण प्रयासों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) से अनुरोध किया कि वह राज्यों को क्षरित वन भूमि और आक्रामक प्रजातियों से प्रभावित क्षेत्रों के आँकड़े उपलब्ध कराए ताकि उन्हें राज्य नियोजन प्रक्रिया में शामिल किया जा सके। उन्होंने सभी राज्यों से क्षरित वन भूमि की पहचान करने और उन्हें ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (जीसीपी) पोर्टल पर उपलब्ध कराने का अनुरोध किया ताकि स्वीकृत सूक्ष्म योजनाओं के अनुरूप पारिस्थितिकी-पुनर्स्थापन गतिविधियों में व्यक्तियों, सार्वजनिक और निजी संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। भूपेन्द्र यादव ने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली और एनसीआर के लिए वैज्ञानिक रूप से नियोजित, प्रौद्योगिकी-सक्षम और अभिसरण-आधारित जिलावार हरित रणनीति एनसीआर की पारिस्थितिक सुरक्षा को मजबूत करने और दीर्घावधि में वायु गुणवत्ता में निरंतर सुधार प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इस संबंध में अगली बैठक शीघ्र ही आयोजित की जाएगी जिसमें राज्य सरकारों और दिल्ली सरकार द्वारा की गई कार्रवाई की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
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