मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तर भारत में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है। दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में ठंड, घना कोहरा और खतरनाक स्तर पर पहुंचा वायु प्रदूषण आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा रहा है। शनिवार को राजधानी और आसपास के इलाकों में शीत लहर का साफ असर देखने को मिला। दिनभर सूरज बादलों में छिपा रहा, ठंडी हवाओं के साथ स्मॉग छाया रहा, जिससे दृश्यता काफी कम हो गई। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, आने वाले दिनों में मौसम में बड़े बदलाव की संभावना नहीं है। सात दिन की भविष्यवाणी में बताया गया है कि 20 से 25 दिसंबर के बीच अधिकतम तापमान 16 से 17 डिग्री सेल्सियस के आसपास रह सकता है, जबकि न्यूनतम तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस तक गिरने के आसार हैं। इस दौरान घने कोहरे की स्थिति बनी रह सकती है। कम तापमान और हवा की रफ्तार सुस्त होने के कारण प्रदूषक तत्व वातावरण में फंसे हुए हैं, जिससे स्मॉग की परत और मोटी होती जा रही है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, आईएमडी के वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ उत्तर-पश्चिम भारत को प्रभावित कर रहा है। इसके चलते हिमालयी क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी की संभावना है। कश्मीर घाटी में भारी हिमपात के भी संकेत मिल रहे हैं, जबकि मैदानी इलाकों, खासकर पंजाब के उत्तरी हिस्सों में हल्की बारिश हो सकती है। दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को लेकर सख्त रुख अपनाया है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने साफ कहा है कि खराब मौसम और GRAP-4 लागू होने के बावजूद अगर कहीं निर्माण कार्य चलता पाया गया तो संबंधित बिल्डिंग के साथ-साथ जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी। इसके अलावा, दिल्ली में किसी भी प्रकार की प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री को चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बड़े पैमाने पर निरीक्षण के बाद नियमों का उल्लंघन करने वाली इकाइयों को सील करने की तैयारी है। राजधानी में शनिवार को इस सीजन की पहली शीत लहर दर्ज की गई, जिससे दिसंबर का अब तक का सबसे ठंडा दिन रिकॉर्ड हुआ। अधिकतम तापमान सामान्य से कई डिग्री नीचे चला गया। इसी के साथ वायु गुणवत्ता भी गंभीर स्तर पर पहुंच गई। केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में AQI 400 से ऊपर बना हुआ है। चांदनी चौक जैसे घनी आबादी वाले इलाके में स्थिति सबसे खराब रही, जहां AQI 460 के पार दर्ज किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हालात सांस के मरीजों, बुजुर्गों और बच्चों के लिए बेहद खतरनाक हैं।
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