नासा के अपोलो कार्यक्रम के अंतिम जीवित अंतरिक्ष यात्री वाल्टर कनिंघम का हुआ निधन

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मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नासा के अपोलो कार्यक्रम के अंतर्गत पहले सफल अंतरिक्ष मिशन के सदस्यों में अंतिम जीवित अंतरिक्ष यात्री वाल्टर कनिंघम का 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। नासा ने कनिंघम की मृत्यु की पुष्टि की है, लेकिन उनकी मृत्यु के कारण की पुष्टि नहीं हो पाई है। नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा है कि कनिंघम एक अन्वेषक थे जिनके कार्यों ने नासा के नए आर्टमिस चंद्र कार्यक्रम की नींव रखी थी। मीडिया की माने तो, कनिंघम 1968 में अपोलो-7 मिशन के तीन अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल थे। यह मिशन 11 दिन तक चला था और पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए उपग्रह का सीधा प्रसारण किया गया था। इसके एक साल बाद ही चंद्रमा पर उपग्रह उतारने का मार्ग प्रशस्त हो गया था।

मीडिया सूत्रों के हवाले से सामने आई जानकारी के आधार पर, नासा के अपोलो कार्यक्रम के अंतर्गत पहले सफल अंतरिक्ष मिशन के सदस्यों में अंतिम जीवित अंतरिक्ष यात्री वाल्टर कनिंघम का 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वॉल्टर कनिंघम नासा की ओर से 1968 में अंतरिक्ष में भेजे गए अपोलो-7 मिशन के चालक दल के सदस्यों में से एक थे। यह मिशन कुल 11 दिनों का था और इसके प्रक्षेपण का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया गया था। अपोलो-7 मिशन के जरिये ही अंतरिक्ष यात्रियों का आगे चलकर चंद्रमा की सतह पर उतरना संभव हो सका था।

Image Source :  newsonair.gov.in

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