आज 19 मई को 3 शुभ योग में वट सावित्री व्रत हैं। मीडिया सूत्रों के अनुसार, वट सावित्री व्रत के दिन गजकेसरी योग, शोभन योग और शश योग बना है। ये तीनों ही शुभ योग हैं। ज्येष्ठ अमावस्या को पूरे उत्तर भारत में विवाहित महिलाएं वट सावित्री व्रत हैं। वे शुभ मुहूर्त में वट वृक्ष, सावित्री और सत्यवान की पूजा करके पति की लंबी आयु की प्रार्थना करती है। वट सावित्री व्रत के पूजन करने के अलग -अलग मुहूर्त है।
वट सावित्री व्रत पूजा मुहूर्त
वट सावित्री व्रत का सुबह में पूजा मुहूर्त 05 बजकर 28 मिनट से 10 बजकर 35 मिनट तक है। उसके बाद दोपहर में पूजा मुहूर्त 12 बजकर 18 मिनट से दोपहर 02:00 बजे तक है। दोपहर में पूजा का शुभ-उत्तम मुहूर्त है।
वट सावित्री व्रत पूजा सामग्री
सावित्री और सत्यवान की मूर्ति, बरगद का पेड़, वट सावित्री व्रत कथा की पुस्तक, थाली, कलावा, काला चना, फूल, फल, सिंदूर, रोली, बांस का पंखा, सवा मीटर का कपड़ा, मिट्टी का दीपक, धूप, अक्षत, दीप, जल कलश, पूड़ी, पकवान, मिठाई, पान का पत्ता, सुपारी, नारियल, बांस की टोकरी और श्रृंगार सामग्री।
पूजन विधि
सबसे पहले तीन कुश और तिल लेकर ब्रह्मा जी और देवी सावित्री का आह्वान करें। ओम नमो ब्रह्मणा सह सावित्री इहागच्छ इह तिष्ठ सुप्रतिष्ठिता भव। इस मंत्र का जप करते रहें। इसके बाद जल अक्षत, सिंदूर, तिल, फूल, माला, पान अर्पित करें। इसके बाद एक फल लेकर आम या अन्य कोई फल लेकर वट वृक्ष पर जल अर्पित करें। इसके बाद कच्चा सूत लेकर 7 या 21 बार वट वृक्ष की परिक्रमा करें। वट सावित्री के दिन अपने जीवनसाथी के साथ किसी बात को लेकर वाद विवाद या झगड़ा न करें। दोनों एक दूसरे के साथ अच्छा व्यवहार करें।
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