केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि विश्वविद्यालयों को विचारों की लड़ाई के स्थान की जगह विचारों के आदान-प्रदान का मंच बनना चाहिए। श्री शाह ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय में एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कोई भी विचारधारा बहस और चर्चा से ही फल-फूल सकती है।
गृहमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह पहली ऐसी शिक्षा नीति है जिसका सभी ने स्वागत किया है और इसका किसी ने विरोध नहीं किया। गृह मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 से 2022 तक देश ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। श्री शाह ने नरेंद्र मोदी सरकार की कई उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत आज विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप देश बन गया है। गृह मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले भारत की अपनी कोई रक्षा नीति नहीं थी, और अगर यह थी, तो विदेश नीति की छाया में थी। उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमले करके भारत ने रक्षा नीति का अर्थ बताया है। गृह मंत्री ने कहा कि भारत हर देश के साथ अच्छे संबंध चाहता है, लेकिन अपनी सीमा से कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि भारत एक सांस्कृतिक देश है और दुनिया को भारत के विचारों को समझने की आवश्यकता है। श्री शाह ने कहा कि कुछ लोग भारत को समस्याओं वाला देश कहते हैं, लेकिन इसमें समाधान खोजने की क्षमता भी है।
इस अवसर पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने देश को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के लिए कई पहल की हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से समय की मांग के अनुसार पेटेंट के क्षेत्र में अल्पकालिक पाठ्यक्रम संचालित करने का आग्रह किया।
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