वित्त मन्त्री निर्मला सीतारामन ने आज कहा कि पेट्रोल पर आठ रुपये प्रति लीटर और डीज़ल पर छह रुपये प्रति लीटर की उत्पाद शुल्क कटौती पूरी तरह से सड़क और बुनियादी ढ़ांचा उपकर-आर.आई.सी. से ली गई है।
श्रीमती सीतारामन ने एक ट्वीट् श्रंखला में कहा कि पिछले साल नवंबर में पेट्रोल में पांच रुपये और डीजल में दस रुपये प्रति लीटर की कमी भी आर.आई.सी से ली गई थी। पेट्रोल और डीज़ल के उत्पाद शुल्क में आधार उत्पाद शुल्क, विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सड़क एवं बुनियादी ढ़ांचा उपकर और कृषि एवं बुनियादी ढांचा विकास उपकर शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आधार उत्पाद शुल्क राज्यों के साथ साझा किया जाता है जबकि विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सड़क एवं बुनियादी ढांचा उपकर और कृषि एवं बुनियादी ढांचा विकास उपकर साझा नहीं किए जाते हैं। वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि राज्यों के साथ साझा किए जाने वाले आधार उत्पाद शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसलिए पिछले साल नवंबर और इस बार कल की गई कटौती का पूरा भार केन्द्र वहन करेगा। पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क कल की गई कटौती से केन्द्र पर एक वर्ष में एक लाख करोड़ रुपये का भार आएगा। पिछले साल नवंबर की कटौती से केन्द्र पर एक लाख बीस हजार करोड़ रुपये का भार आया है। श्रीमती सीतारामन ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ो के अनुसार वर्ष 2014 से 2022 तक नरेन्द्र मोदी सरकार ने विकास कार्यों पर कुल 90 दशमलव नौ लाख करोड़ रुपये व्यय किए हैं। इसकी तुलना में वर्ष 2004 से 2014 तक की अवधि में यह आंकड़ा 49 दशमलव दो लाख करोड़ रुपये रहा था।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने 24 दशमलव आठ पांच लाख करोड़ रुपये खाद्य पदार्थ, ईंधन और उर्वरक की सब्सिडी और 26 दशमलव तीन लाख करोड़ रुपये पूंजी निर्माण पर खर्च किए हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दस वर्ष के कार्यकाल के दौरान सब्सिडी पर महज 13 दशमलव नौ लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।
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