Team DA की रिपोर्ट : राष्ट्रीय जैविक खेती अभियान, रिटायर्ड प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर (इनकम टैक्स) डॉ पालीवाल ने सरकार को दिए सुझाव

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राष्ट्रीय जैविक परिवार अभियान का नेतृत्व कर रहे रिटायर्ड प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर, इनकम टैक्स (मप्र/छग) डॉ आर के पालीवाल ने मप्र सरकार के जैविक खेती अभियान की सराहना करते हुए कहा है कि, ये खेती जन-जन के साथ किसानों के लिए भी हर प्रकार से लाभकारी है। उन्होंने कहा कि इससे पर्यावरण भी स्वच्छ और समृद्ध होगा और देशवासी भी स्वस्थ रहेंगे। राष्ट्रीय जैविक परिवार के माध्यम से उन्होंने सरकार को भी अपने अनुभव के आधार पर जमीनी स्तर पर कारगार सिद्ध होने वाले कई सुझाव दिए हैं। डॉ आर के पालीवाल ने TeamDA को बताया कि, चूँकि वे जैविक और प्राकृतिक खेती को लेकर स्वयं जमीनी स्तर पर कार्यरत हैं इसलिए उनसे प्रदेश और देश के अनेक किसान जुडे हुए हैं। उन्होंने काफ़ी लोगों को जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित भी किया है। डॉ पालीवाल ने प्रदेश सरकार को जैविक खेती अभियान को गुणात्मक रूप से हर क्षेत्र तक पहुँचाने के लिए कुछ जरूरी सुझाव दिए हैं।

जिसमें जैविक खेती के पंजीकरण की वर्तमान प्रणाली में अधिकांश छोटे और अशिक्षित किसान महंगी, लंबी और बोझिल प्रक्रिया के कारण जैविक खेती को अपनाने में सहज महसूस नहीं करते। इसके अलावा पर्याप्त जैविक खाद की अनुपलब्धता और जानवरों और कीटों द्वारा जैविक फसल का भारी नुकसान जैसी अडचने भी किसानों के समक्ष उत्पन्न होती हैं क्योंकि जैविक फसलें जानवरों और कीटों को ज्यादा आकर्षित करती हैं। किसानों की इन गंभीर समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य सरकार को जैविक खेती का पंजीकरण नि:शुल्क करना चाहिए। ग्राम पंचायतों से यह जानकारी ब्लॉक, तहसील, जिला और राज्य स्तर पर एकत्रित की जा सकती है ताकि इसका सम्पूर्ण डाटा सरकार के पास मौजूद रहेगा जिससे वन टू वन सरकार का किसानों और उनके परिवार से सीधा सम्पर्क भी हो सकेगा। इस तरह के सहज सरल उपाय से प्रदेश के अधिक किसान जैविक खेती से जुड़ेंगे।

डॉ पालीवाल ने सरकार से कहा है कि, जैविक किसानों को गौशाला और जैविक खाद बनाने की इकाई स्थापित करने के लिए एकमुश्त अनुदान/सब्सिडी/कम ब्याज ऋण के रूप में उपयुक्त प्रारंभिक वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए। साथ ही जैविक फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों के हमलों से बचाने के लिए जैविक खेतों की बाड़ लगाने के लिए भी किसानों को वित्तीय सहायता मिलनी चाहिए। जैविक खेती करने वाले अनुभवी और प्रगतिशील किसानों के खेतों में ग्राम पंचायत के माध्यम से जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, वर्तमान में छोटे जैविक किसानों को अपने उत्पाद शहरों में बेचने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या का समाधान किया जाना जरूरी है। इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया है कि सभी कस्बों और शहरों में, नगर निगम द्वारा कुछ केंद्रीय स्थान चयनित किए जाने चाहिए, जहां जैविक किसानों के सहकारी समूह अपने उत्पाद सीधे उपभोक्ताओं को बेच सकते हैं। इन किसानों के लिए अतिरिक्त कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था होने से यह अभियान ज्यादा प्रभावी ढंग से आगे बढ़ेगा और जैविक किसान और सम्पन्न होंगे।

डॉ पालीवाल ने सुझाव दिया है कि, सरकार द्वारा सहायता प्राप्त जैविक उत्पादों का निर्यात, कृषि उत्पाद आधारित पीएसयू भी जैविक उत्पादों के निर्यात में मदद करेगा। उनके अनुसार उन्होंने विशेषज्ञों की एक समिति भी बनाई है, जो प्रदेश के विभिन्न जगहों पर जैविक किसानों के संपर्क में हैं ताकि उनसे फसलों का डाटा और फीडबैक सीधे इकठ्ठा किया जा सके। डॉ पालीवाल का कहना है कि, वे खुद इन सबसे समन्वय कर रहे हैं। उन्होंने TeamDA को बताया कि, सरकार से यह आग्रह है कि, जैविक खेती अभियान के लिए यह भी बेहतर होगा कि प्रदेश के कृषि विभाग के साथ, बागवानी और पशुपालन विभाग को भी इस मिशन से जोड़ा जाए जिससे प्राकृतिक खेती से और अच्छे परिणाम आ सकेंगे। डॉ पालीवाल ने बताया कि, हमारे राष्ट्रीय जैविक परिवार समूह के पास देश भर के जैविक खेती के विशेषज्ञ हैं, हम राज्य सरकार का समर्थन करने के लिए हमेशा तैयार हैं।

(किसान परिवार में जन्में डॉ आर के पालीवाल पहले इंडियन फोरेस्ट सर्विस में थे फिर इंडियन रेवेन्यू सर्विस में उनकी सेवाएँ और कार्यशैली के फलस्वरूप वे प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर (मप्र/छग) के पद से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने Post Graduation, Botany में किया और M.Phil में उनका Specialization Environment में है। उन्होंने Bio-Technology में Ph.D. की है। यही कारण है कि उनका वैज्ञानिक ज्ञान, प्रशासन के साथ-साथ, जमीनी स्तर पर भी बहुत गहराई से जुडा हुआ है। उनका सहज-सरल स्वभाव उनकी कीर्ति को विस्तारित तो करता ही है साथ ही उनसे जुडे लोगों को प्राकृतिक जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा भी देता है।

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