Good Governance का मतलब होता है, जब शासन के केंद्र में सत्ता नहीं सेवाभाव हो- पीएम मोदी

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आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि “Good Governance का मतलब होता है, जब शासन के केंद्र में सत्ता नहीं सेवाभाव हो। जब साफ नीयत से संवेदनशीलता के साथ नीतियों का निर्माण हो और जब बिना किसी भेदभाव के उसका पूरा हक मिले। Good Governance का यही सिद्धांत आज हमारी सरकार की पहचान बन चुका है। हमारी सरकार आज हर नागरिक के पास खुद जाकर उसे हर सुविधा दे रही है। हमारी कोशिश है कि ऐसी हर सुविधा का सेचुरेशन हो।इसके लिए देश भर में विकसित भारत संकल्प यात्रा चलाई जा रही है।”

पीएम मोदी ने आगे कहा कि “मोदी की गारंटी वाली गाड़ी देश के गांवों और शहरों तक पहुंच रही है। लाभार्थियों को मौके पर ही अनेक योजनाओं का लाभ मिल रहा है। शासन में आया ये बदलाव, अब समाज की सोच को भी बदल रहा है।इसलिए आज भारत में जनता और सरकार के बीच भरोसा नई बुलंदियों पर है। यही भरोसा देश के आत्मविश्वास में झलक रहा है और यही आत्मविश्वास आजादी के अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण की ऊर्जा बन रहा है।”

उन्होंने आगे कहा कि “आजादी के अमृतकाल में देश गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाकर, अपनी विरासत पर गर्व करते हुए आगे बढ़ रहा है। हमारी सरकार के कार्यों में भी आपको कहीं न कहीं मालवीय जी के विचारों की महक महसूस होगी। भारत आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की कई संस्थाओं का निर्माता बन रहा है। ये संस्थान, ये संस्थाएं 21वीं सदी के भारत ही नहीं बल्कि 21वीं सदी के विश्व को नई दिशा देने का काम करेंगे।”

प्रधानमंत्री मोदी ने महामना मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धाजंलि देते हुए कहा कि “आज का दिन भारत और भारतीयता में आस्था रखने वाले करोड़ों लोगों के लिए एक प्रेरणा पर्व की तरह होता है। आज महामना मदन मोहन मालवीय जी की जन्मजयंती है, आज ही अटल जी की भी जयंती है। मैं इस पावन अवसर पर महामना मालवीय जी के श्रीचरणों में प्रणाम करता हूं और अटल जी को आदरपूर्वक श्रद्धाजंलि देता हूं।”

पीएम मोदी ने कहा कि “अटल जी की जयंती के उपलक्ष्य में आज देश सुशासन दिवस के रूप में मना रहा है। मैं सभी देशवासियों को ‘सुशासन दिवस’ की भी बधाई देता हूं। अटल जी की जयंती के उपलक्ष्य में आज देश सुशासन दिवस के रूप में मना रहा है। मैं सभी देशवासियों को ‘सुशासन दिवस’ की भी बधाई देता हूं। आज के इस पवित्र अवसर पर पंडित मदनमोहन मालवीय संपूर्ण वाङ्गमय का लोकार्पण होना अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। ये संपूर्ण वाङ्गमय महामना के विचारों, आदर्शों और उनके जीवन से हमारी युवा पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी को परिचित कराने का सशक्त माध्यम बनेगा। महामना जैसे व्यक्तित्व सदियों में एक बार जन्म लेते हैं और आने वाली कई सदियां उनसे प्रभावित होती है।”

उन्होंने कहा कि “भारत की कितनी ही पीढ़ियों पर महामना का ऋण है। वो शिक्षा और योग्यता में उस समय के बड़े से बड़े विद्वानों की बराबरी करते थे। वो आधुनिक सोच और सनातन संस्कारों के संगम थे। महामना जिस भूमिका में रहे, उन्होंने ‘राष्ट्र प्रथम’ के संकल्प को सर्वोपरि रखा। वो देश के लिए बड़ी से बड़ी ताकत से टकराए। मुश्किल से मुश्किल माहौल में भी उन्होंने देश के लिए संभावनाओं के नए बीज बोए।”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि “इसे मैं अपनी सरकार का सौभाग्य समझता हूं कि हमने उन्हें भारत रत्न दिया। मेरे लिए तो महामना जी एक और वजह से बहुत खास हैं, उनकी तरह मुझे भी ईश्वर ने काशी की सेवा का मौका दिया है। मेरा ये भी सौभाग्य है कि 2014 में चुनाव लड़ने के लिए जब मैंने नामांकन भरा, तो उसके प्रस्ताव मालवीय जी के परिवार के सदस्य थे।”

News & Image Source: Twitter (@BJP4India)

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