मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नए साल के पहले दिन सोमवार को मध्य जापान में आए शक्तिशाली भूकंप में अबतक कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है। जानकारी के मुताबिक एक दिन में भूकंप के 155 झटके महसूस किए गए। राहत और बचाव कार्य जारी है और मलबे में दबे लोगों की तलाश की जा रही है। पुलिस और स्थानीय अधिकारियों ने मंगलवार तड़के ढही हुई इमारतों के मलबे से शव निकाले जाने की सूचना दी। जापान में 7.6 की प्रारंभिक तीव्रता वाला भूकंप सोमवार को दोपहर के मध्य में आया, जिससे कई इमारतें नष्ट हो गईं, हजारों घरों की बिजली गुल हो गई और कुछ तटीय क्षेत्रों के निवासियों को ऊंचे स्थानों पर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। भूकंप से जापान के लंबे पश्चिमी समुद्री तट के साथ-साथ पड़ोसी दक्षिण कोरिया में भी लगभग 1 मीटर (3.3 फीट) ऊंची लहरें उठीं।
आप को बता दे , जापान मौसम विज्ञान कार्यालय ने कहा कि जापान में सोमवार से अब तक 155 बार भूकंप के झटके आए हैं, जिनमें 7.6 तीव्रता का झटका और 6 से अधिक तीव्रता का झटका शामिल है। जेएमए ने कहा कि अधिकांश भूकंपों की तीव्रता 3 से अधिक थी और हालांकि तीव्रता धीरे-धीरे कम हो गई है, फिर भी मंगलवार तड़के छह मजबूत झटके महसूस किए गए। अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि नए साल के दिन मध्य जापान में आए एक बड़े भूकंप में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई, जिससे एक मीटर से अधिक ऊंची सुनामी लहरें उठीं, घरों को नुकसान पहुंचा और भीषण आग लग गई, जिसने रात भर तबाही मचाई।
जानकारी के लिए बता दें कि, एनएचके ने बताया कि डॉक्टर भूकंप के केंद्र के पास, सुजु के सबसे अधिक प्रभावित शहर में अस्पताल तक पहुंचने में असमर्थ दिख रहे थे। इसमें कहा गया है कि बिजली गुल होने के कारण अस्पताल बैकअप जनरेटर पर निर्भर था। वहीं, राष्ट्रीय पुलिस एजेंसी ने कहा कि अब तक छह लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। एनएचके ने बताया कि ढही हुई इमारतों के नीचे फंसने से तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि एक व्यक्ति की पत्थर से दबकर मौत हो गई। जापान मौसम विज्ञान एजेंसी के अनुसार, सोमवार को सुदूर नोटो प्रायद्वीप में पहली बार आए भूकंप के बाद से 90 से अधिक झटके पाए गए हैं। एजेंसी ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में भूकंप के और भी तेज़ झटके आ सकते हैं।
मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जापानी प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा ने सोमवार देर रात संवाददाताओं से कहा कि खोज और बचाव दल बुरी तरह क्षतिग्रस्त और अवरुद्ध सड़कों के कारण सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रभावित क्षेत्रों में कई रेल सेवाएं और उड़ानें भी निलंबित कर दी गई हैं।
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