मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय अंडर-20 महिला फुटबॉल टीम ने रविवार को इतिहास रच दिया। भारतीय टीम ने अंतिम क्वालीफाइंग मैच में मेजबान म्यांमार को 1-0 से हराकर दो दशक बाद एएफसी महिला एशियाई कप के लिए क्वालीफाई किया। इससे पहले भारत ने 2006 में इस टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई किया था। इस मुकाबले में पूजा ने एकमात्र गोल किया। भारत ने सात अंकों के साथ ग्रुप में शीर्ष स्थान हासिल करते हुए 2026 में थाइलैंड में होने वाले मुख्य टूर्नामेंट में जगह बनाई। मैच की शुरुआत से ही भारतीय टीम आक्रामक अंदाज में नजर आई। तीसरे मिनट में नेहा और शिबानी देवी नोंगमेईकपाम ने म्यांमार के गोलपोस्ट को खतरे में डाला, लेकिन गेंद जाल तक नहीं पहुंची।मैच की शुरुआत से ही भारतीय टीम आक्रामक अंदाज में नजर आई। तीसरे मिनट में नेहा और शिबानी देवी नोंगमेईकपाम ने म्यांमार के गोलपोस्ट को खतरे में डाला, लेकिन गेंद जाल तक नहीं पहुंची।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वहीं, म्यांमार ने भी कुछ तेज काउंटर अटैक किए। नौवें मिनट में उनकी फारवर्ड खिलाड़ी सु सु खिन गोल के करीब तक पहुंचीं, लेकिन भारतीय रक्षा पंक्ति ने उन्हें रोक दिया। भारत के लिए निर्णायक क्षण 27वें मिनट में आया, जब पूजा ने टीम को बढ़त दिलाई। दाईं ओर से उन्होंने खुद काउंटर अटैक शुरू किया और गेंद को आगे बढ़ाया। यह गेंद नेहा तक पहुंची, जिन्होंने इसे एक ऊंचे पास में वापस पूजा की ओर भेजा। तब तक पूजा गोलपोस्ट के करीब पहुंच चुकी थीं और गेंद को गोललाइन पार कराकर स्कोर 1-0 कर दिया। इस गोल ने भारतीय खिलाडि़यों और सपोर्ट स्टाफ को राहत दी, और टीम ने पहले हाफ तक इस बढ़त को कायम रखा। दूसरे हाफ में म्यांमार ने घरेलू समर्थकों के जोश से प्रेरित होकर तेज खेल दिखाया। 48वें मिनट में गोलकीपर मोनालिशा देवी ने सु सु खिन के जोरदार शाट को शानदार ढंग से रोककर भारत की बढ़त बचाई। म्यांमार ने हमले और तेज कर दिए, लेकिन भारतीय डिफेंस ने मजबूती से उनका सामना किया। मैच का सबसे रोमांचक क्षण 80वें मिनट में आया, जब म्यांमार की स्थानापन्न खिलाड़ी मो प्विंट फ्यू का हेडर पोस्ट से टकराकर गोललाइन पर लुढ़कने लगा। तभी मोनालिशा ने तेजी से छलांग लगाकर गेंद को सुरक्षित बाहर कर दिया। 90वें मिनट में भी फ्यू ने एक शॉट मारा, जो शुभांगी से लगकर पोस्ट से बाहर निकल गया।इस दबाव के बीच भारत ने भी जवाबी हमला किया। कुछ सेकेंड बाद शिबानी ने दाईं ओर से क्रास दिया, जिस पर सुलंजना राउल ने हेड किया, लेकिन गेंद क्रॉसबार से टकरा गई और स्कोर बढ़ाने का मौका हाथ से निकल गया। म्यांमार ने अंतिम मिनटों में पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन भारतीय खिलाडि़यों ने धैर्य, फिटनेस और रक्षात्मक कौशल का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए बढ़त को बनाए रखा। रेफरी की अंतिम सीटी के साथ ही भारतीय टीम और कोचिंग स्टाफ खुशी से झूम उठे। इस जीत के साथ न सिर्फ भारत ने दो दशक बाद इस टूर्नामेंट के मुख्य चरण में जगह बनाई, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि युवा खिलाड़ियों में बड़े मंच पर खेलने की क्षमता और जज्बा मौजूद है। 2006 के बाद यह उपलब्धि भारतीय महिला फुटबाल के लिए एक नया मील का पत्थर है, जो भविष्य में और भी ऊंचाइयों की उम्मीद जगाती है।
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