Amit Shah: गृह मंत्री अमित शाह बोले- पीओके भारत का हिस्सा है, वहां के हिंदू भी हमारे हैं और मुसलमान भी

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मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पीओके भारत का हिस्सा है। वहां रहने वाले हिंदू भी हमारे हैं और वहां रहने वाले मुसलमान भी भारत के हैं। इसके अलावा, उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर विपक्षी दल मुस्लिम समुदाय को गुमराह कर रहा है। सीएए में नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान ही नहीं है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, शाह शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित साक्षात्कार में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि आजादी के समय पाकिस्तान में 23 प्रतिशत हिंदू थे। आज वहां 2.7 प्रतिशत हैं। बाकी के लोग कहां गए? उनका क्या हुआ? बांग्लादेश में आज 10 प्रतिशत से भी कम हिंदू बचे हैं। वे कहां गए? उनके साथ क्या हुआ? पड़ोसी देशों में बड़ी संख्या में धर्मांतरण हुआ। वहां उनके परिवार की महिलाओं के साथ अन्याय हुआ। उनके परिवार के साथ वहां अत्याचार हुआ। उन्होंने भारत में शरण ली। हमें उन्हें नागरिकता क्यों नहीं देनी चाहिए।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, साक्षात्कार में उन्होंने विपक्षी दलों पर मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने का आरोप लगाया। सीएए में नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य जो उत्पीड़ित महसूस कर रहे हैं, उन्हें विभाजन के समय आश्वासन दिया गया था कि वे बाद में भारत आ सकते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश ने 1947 में धर्म आधारित विभाजन देखा है।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, केंद्रीय मंत्री ने कहा, हम कभी बंटवारे के पक्ष में नहीं रहे और निर्णायक स्थिति में होते तो देश का बंटवारा नहीं होने देते। गृह मंत्री ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर भेदभाव के आरोप में कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ का समर्थन करने वाले धर्म पर कानून नहीं होना चाहिए बोल रहे हैं। उन्होंने कहा, जितना अधिकार देश पर हमारा और आपका है, उतना ही शरणार्थियों का भी है। उन्होंने कहा, पाक अधिकृत कश्मीर हमारा है और वहां के हिंदू-मुसलमान भी हमारे हैं।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, एक राष्ट्र, एक चुनाव पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि इसके कार्यान्वयन की तारीख संसद द्वारा तय की जाएगी। इसका उद्देश्य चुनावों पर हो रहे खर्च पर अंकुश लगाना है। हमें यह देखना है कि बार-बार चुनावों के कारण विकास की गति प्रभावित न हो। इससे नीति-निर्माण में आसानी होगी। इससे लोग अपने परिवारों को समृद्ध बनाने पर भी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक राष्ट्र एक चुनाव का समर्थन करते हुए गृह मंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा का विचार है कि देश में बार-बार चुनाव होने से जहां खर्च बढ़ता है, वहीं बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास के काम प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि एक बार में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होने से पांच साल तक चुनी हुई सरकारें अपना काम बिना किसी बाधा के करेंगी और बार-बार का व्यावधान खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा, देश में एक साथ चुनाव 1960 तक हुए लेकिन इंदिरा जी ने जब सरकारें गिरानी शुरू की तब से यह चुनाव का क्रम बिगड़ा।

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