Army: चीनी सीमा के पास 14500 फुट की ऊंचाई पर भारत ने स्थापित किया टैंक मरम्मत केंद्र, यह अपने आप में रिकॉर्ड

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Army: चीनी सीमा के पास 14500 फुट की ऊंचाई पर भारत ने स्थापित किया टैंक मरम्मत केंद्र, यह अपने आप में रिकॉर्ड
Image Source : Amar Ujala

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय सेना ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र में दो बख्तरबंद टैंक मरम्मत सुविधाएं स्थापित की हैं। यह अपने आप में एक तरह का रिकॉर्ड है। भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर 500 से अधिक टैंकों और पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों को तैनात किया हुआ है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारतीय सेना ने चीनी सीमा के पास न्योमा में और डीबीओ सेक्टर में 14,500 फीट से अधिक की ऊंचाई पर दो बख्तरबंद वाहन रखरखाव और मरम्मत सुविधाएं स्थापित की है। ये इलाका दुनिया में टैंक और सेना के लड़ाकू वाहनों के लिए सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है। अप्रैल-मई में चीन सैनिकों की हिमाकत के चलते उत्पन्न गतिरोध के बाद पूर्वी लद्दाख में बड़ी संख्या में टैंक और बीएमपी लड़ाकू वाहनों के साथ-साथ क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल जैसे भारतीय निर्मित बख्तरबंद वाहनों को तैनात किया गया।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, सेना के अधिकारियों ने बताया कि टैंकों और लड़ाकू वाहनों को इन अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात किया गया है। यहां रखरखाव और मरम्मत के लिए इन वाहनों को वापस ले जाना बहुत मुश्किल काम है। बख्तरबंद वाहनों के संचालन को बनाए रखने के लिए हमने न्योमा और डीबीओ सेक्टर में डीएस-डीबीओ रोड पर केएम-148 के पास मध्यम रखरखाव (रीसेट) सुविधाएं स्थापित की हैं। ये दो मुख्य क्षेत्र हैं जहां पूर्वी लद्दाख सेक्टर में टैंक और आईसीवी संचालन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, सेना बहुत ऊंचाई वाले इलाकों जहां सर्दियों में तापमान बेहद कम रहता है, वहां टी-90, टी-72, बीएमपी और के-9वज्र स्व-चालित हॉवित्जर सहित अपने टैंकों को संचालन लायक बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रही है। हाल ही में सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों (एएफवी) के लिए मध्यम रखरखाव (रीसेट) सुविधा का दौरा किया था। अधिकारियों ने कहा कि नई सुविधाएं टैंकों और लड़ाकू वाहनों की बेहतर सेवाक्षमता और मिशन विश्वसनीयता को बढ़ावा देंगी। ये सुविधाएं ऊबड़-खाबड़ इलाकों और शून्य से 40 डिग्री नीचे तापमान वाले चुनौतीपूर्ण मौसम में भी लड़ाकू बेड़े को परिचालन के लिए तैयार रखने में मददगार होंगी।

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