मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश की राजधानी में रविवार सुबह बादल फटा। कई इलाकों में भूस्खलन और बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। स्थानीय आपदा प्रबंधन और प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश में पिछले कुछ हफ्तों से मूसलाधार बारिश हो रही है। पिछले दो दिनों में स्थिति में सुधार भी हुआ, लेकिन रविवार को बारिश का कोई पूर्वानुमान नहीं था। हाईवे-415 पर जलभराव होने से कई वाहन फंसे हुए हैं। वहीं मौसम विभाग ने मध्य प्रदेश का मालवा इलाके के अलावा गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है जिसके बाद माना जा रहा है कि इनमें से कुछ इलाकों में बाढ़ आ सकती है। आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि रविवार सुबह लगभग 10:30 बजे बादल फटने की घटना के बाद ईटानगर के कई हिस्सों में और उसके आसपास के इलाकों से भूस्खलन की खबरें हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 415 के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। वहां कई वाहन फंसे हुए हैं। प्रशासन ने सात स्थानों पर राहत शिविर लगाए हैं और लोगों को नदियों के किनारे और भूस्खलन के खतरे वाले क्षेत्रों में न जाने की सलाह दी है। पूर्वोत्तर के नाजुक हालात को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने मानसून के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में आने वाली बाढ़ से निपटने की तैयारियों की समीक्षा के लिए बैठक की। उन्होंने कहा कि बाढ़ से निपटने और कृषि, सिंचाई और पर्यटन को विकसित करने में मदद के लिए ब्रह्मपुत्र के पानी को मोड़ने के लिए पूर्वोत्तर में कम से कम 50 बड़े तालाब बनाए जाने चाहिए।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि राज्य में बाढ़ की स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई है। यहां अब तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के 10 जिलों में 1.17 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित है। इन जिलों के 27 राजस्व क्षेत्र के 968 गांव बाढ़ से जलमग्न हो गए हैं। अधिकारी वर्तमान में 134 राहत शिविर और 94 राहत वितरण केंद्र संचालित कर रहे हैं, जहां कुल 17,661 लोगों ने शरण ले रखी है। सरमा ने कहा कि बराक के करीमगंज में कुशियारा नदी वर्तमान में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। असम राज्य के आपदा प्रबंधन प्राधिकारी (एएसडीएमए) के अनुसार, हालांकि दो लोगों की मौत हो गई, लेकिन शनिवार को बाढ़ प्रभावितों की संख्या घटने के साथ स्थिति में मामूली सुधार हुआ है। 3,995.33 हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ़ के पानी से जलमग्न है।
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