मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने ई-कॉमर्स कंपनियों को एडवाइजरी जारी कर उन्हें अपने पोर्टल और प्लेटफॉर्म्स पर बोर्नविटा समेत सभी ड्रिंक्स और बेवरेज को ‘हेल्थ ड्रिंक्स’ की श्रेणी से हटाने का निर्देश दिया है। 10 अप्रैल को जारी अधिसूचना में मंत्रालय ने कहा, “राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सीआरपीसी अधिनियम 2005 की धारा 14 के तहत अपनी जांच के बाद निष्कर्ष निकाला है कि देश में खाद्य कानूनों के तहत कोई भी ड्रिंक ‘स्वास्थ्य पेय’ या हेल्थ ड्रिंक्स के रूप में परिभाषित नहीं है।”
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, एनसीपीसीआर की ओर से की गई जांच के बाद यह बात सामने आई है बोर्नविटा में चीनी का स्तर स्वीकार्य सीमा से अधिक होता है।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, इससे पहले, एनसीपीसीआर ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) से उन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की अपील की थी जो सुरक्षा मानकों और दिशानिर्देशों को पूरा करने में विफल रहे हैं। कुछ कंपनियों पर आरोप है कि वे पावर सप्लिमेंट्स को ‘स्वास्थ्य पेय’ के रूप में पेश कर रहे हैं। नियामक के अनुसार, देश के खाद्य कानूनों में ‘स्वास्थ्य पेय’ (हेल्थ ड्रिंक्स) को परिभाषित नहीं किया गया है और इस नाम पर कुछ भी बेचना नियमों का उल्लंघन है।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, इससे पहले इस महीने की शुरुआत में, एफएसएसएआई ने भी ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों को डेयरी-आधारित या माल्ट-आधारित पेय पदार्थों को ‘स्वास्थ्य पेय’ के रूप में लेबल नहीं करने का निर्देश दिया था। पिछले साल, शीर्ष बाल अधिकार निकाय एनसीपीसीआर ने मोंडेलेज इंडिया के स्वामित्व वाली ब्रांड बोर्नविटा को सभी “भ्रामक” विज्ञापनों, पैकेजिंग और लेबल को वापस लेने का निर्देश दिया था। एक वीडियो में दावा किया गया था कि इसमें चीनी की मात्रा सामान्य से अधिक है।
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