मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा-अजित) के राज्यसभा सदस्य प्रफुल्ल पटेल को बड़ी राहत मिली है। एअर इंडिया के विमान पट्टे पर लेने से जुड़े 840 करोड़ रुपये के कथित घोटाले से जुड़े मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बंद कर दी है। अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि ‘किसी भी गड़बड़ी का कोई सबूत’ नहीं था, इसलिए सीबीआई ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (यूपीए) में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे पटेल और एअर इंडिया के वरिष्ठ अधिकारियों पर अनियमितताओं का आरोप लगा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2017 में जांच शुरू करने वाली सीबीआई ने हाल ही में एक विशेष अदालत के समक्ष क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि निजी अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन कंपनियों के साथ सीट-साझा करने वाली व्यवस्था सहित एअर इंडिया में कथित अनियमितताओं से संबंधित अन्य मामलों की जांच जारी रहेगी। विशेष अदालत यह तय करेगी कि रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए या अदालत की ओर से उठाए गए बिंदुओं पर एजेंसी को आगे की जांच करने का निर्देश दिया जाए।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, यह मामला एअर इंडिया के बड़ी संख्या में विमानों को पट्टे पर लेने में अनियमितताओं के आरोपों से संबंधित है, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय वाहक को भारी नुकसान हुआ, जबकि निजी व्यक्तियों को आर्थिक लाभ हुआ। मामले में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, किराये पर विमान लेने वाली व्यवस्था को तत्कालीन मंत्री प्रफुल्ल पटेल के अधीन नागरिक उड्डयन मंत्रालय और भारतीय राष्ट्रीय विमानन निगम लिमिटेड (एनएसीआईएल) के लोक सेवकों ने अंजाम दिया।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, एअर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद नेशनल एविएशन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड का गठन किया गया था। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि ‘बेईमानी से’ यह निर्णय किया गया था। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि 2006 में विमान पट्टे पर लेने का निर्णय भारी घाटे में लगभग खाली चल रही विदेशी उड़ानों के बावजूद लिया गया था।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि एअर इंडिया ने निजी पार्टियों को फायदा पहुंचाने के लिए 2006 में पांच साल की अवधि के लिए चार बोइंग 777 को पट्टे पर लिया, जबकि उसे जुलाई, 2007 से अपने स्वयं के विमान की डिलीवरी मिलनी थी। परिणामस्वरूप, पांच बोइंग 777 और पांच बोइंग 737 को 2007-09 की अवधि के दौरान इस्तेमाल ही नहीं किया गया। इससे सरकारी खजाने को 840 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
#dailyaawaz #newswebsite #news #newsupdate #hindinews #breakingnews #headlines #headline #newsblog #hindisamachar #latestnewsinhindi
Hindi news, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi, ताजा ख़बरें