मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकारी नौकरियों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थान अपने विज्ञापन में 100 फीसदी सफलता या चयन का दावा नहीं कर सकेंगे। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिए दिशा-निर्देशों का एक मसौदा तैयार किया है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम और विनियमन समिति की बैठक में सीसीपीए के मुख्य आयुक्त रोहित कुमार सिंह की अध्यक्षता में दिशा-निर्देश मसौदा जारी किया गया। इसमें कोचिंग संस्थानों को सफलता दर और चयनित छात्रों की संख्या पर झूठे दावे करने से रोका गया है। मसौदे के अनुसार जानकारी का फॉन्ट साइज वही होगा जो दावे/विज्ञापन में उपयोग किया गया है। विज्ञापन में ऐसी जानकारी प्रमुख और आसानी से दिखाई देने वाली जगह पर देनी होगी। अगर किसी कोचिंग संस्थान ने भ्रामक विज्ञापन किया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुसार जुर्माना वसूला जाएगा।
मीडिया की माने तो मसौदे के मुताबिक, कोचिंग संस्थान को सभी अपेक्षित जानकारी देनी होगी। इसमें सफल उम्मीदवार की फोटो, रैंक, पाठ्यक्रम, उसकी अवधि बतानी होगी। साथ ही यह भी बताना होगा कि क्या उम्मीदवार ने फीस दी या मुफ्त कोचिंग ली थी। सीसीपीए ने कोचिंग संस्थानों की ओर से भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की थी। इस संबंध में सीसीपीए ने 31 कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी कर नौ पर जुर्माना लगाया है।
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