मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में प्रतिकूल जलवायु की घटनाओं के कारण भारत में 80 प्रतिशत किसानों को फसलों का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कई राज्यों में कई तरह की फसलों की बुआई में देरी आई है। फोरम ऑफ एंटरप्राइजेज फॉर इक्विटेबल डेवलपमेंट (एफईईडी) की ओर से मंगलवार को जारी रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई। 21 राज्यों में 6,615 किसानों पर आधारित इस सर्वेक्षण में डेवलपमेंट इंटेलिजेंस यूनिट (डीआईयू) ने भी सहयोग दिया।रिपोर्ट में तापमान परिवर्तनशीलता के प्रभाव को शामिल नहीं किया गया है। निष्कर्षों से पता चलता है कि फसलों में नुकसान के 41 प्रतिशत मामलों का कारण सूखा, 32 प्रतिशत का अनियमित वर्षा और 24 प्रतिशत का मानसून का जल्दी वापस जाना या देर से आना रहा।
मीडिया की माने तो रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल लगभग 43 प्रतिशत किसानों की खड़ी फसल का कम से कम आधा हिस्सा खत्म हो गया। अत्यधिक बारिश से चावल, सब्जियां और दालें विशेष रूप से प्रभावित हुईं। इससे उत्तरी राज्यों में धान के खेत नये रोपे पौधों को विशेष नुकसान पहुंचा। इसके विपरीत, कम वर्षा से महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और प. बंगाल जैसे राज्यों में चावल, मक्का, कपास, सोयाबीन, मूंगफली और दालों जैसी विभिन्न फसलों की बुआई में देरी हुई है।
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