Cybercrime In India: साइबर अपराध में दुनिया में 10वें नंबर पर भारत, शोध में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े

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Cybercrime In India: साइबर अपराध में दुनिया में 10वें नंबर पर भारत, शोध में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े
साइबर क्राइम (प्रतीकात्मक तस्वीर) Image Source : Amar Ujala

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हाल ही में दुनियाभर के साइबर अपराध विशेषज्ञों ने सर्वेक्षण किया, जिसकी रिपोर्ट जारी की गई। सर्वेक्षण के मुताबिक, साइबर अपराध के मामले में भारत 10वें स्थान पर है, जिसमें अग्रिम शुल्क भुगतान करने के लिए धोखाधड़ी सबसे आम है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, शोधकर्ताओं की एकअंतरराष्ट्रीय टीम ने ‘विश्व साइबर अपराध सूचकांक’ जारी किया है, जो लगभग 100 देशों को रैंक करता है और रैंसमवेयर, क्रेडिट कार्ड चोरी और घोटाले सहित साइबर अपराध की कई श्रेणियों के मुताबिक प्रमुख हॉटस्पॉट की पहचान करता है। इस सूची में रूस शीर्ष पर है और उसके बाद यूक्रेन, चीन, अमेरिका, नाइजीरिया और रोमानिया हैं। शोध के मुताबिक, उत्तर कोरिया सातवें स्थान, जबकि यूके और ब्राजील क्रमशः आठवें और नौवें स्थान पर थे।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, सर्वेक्षण के जरिए से, शोधकर्ताओं ने विशेषज्ञों से आभासी दुनिया में प्रमुख अपराध पर विचार करने और उन देशों को नामांकित करने के लिए कहा, जिनके बारे में उन्हें लगता है कि उनमें से प्रत्येक में महत्वपूर्ण योगदान था। शोधकर्ताओं ने जिन प्रमुख श्रेणियों की पहचान की वे हैं – तकनीकी उत्पाद और सेवाएं जैसे मेलवेयर और कॉम्प्रोमाइज़िंग सिस्टम, रैंसमवेयर समते हमले और जबरन वसूली, हैकिंग, ज्वाइंट अकाउंट और क्रेडिट कार्ड सहित डेटा और पहचान की चोरी; अग्रिम शुल्क धोखाधड़ी जैसे घोटाले; और नाजायज आभासी मुद्रा से नकदी निकालना या मनी लॉन्ड्रिंग करना है।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, शोधकर्ताओं ने पाया कि शीर्ष छह देश प्रत्येक साइबर अपराध श्रेणी के तहत शीर्ष दस देशों में शामिल थे। उन्होंने आगे पाया कि जो देश साइबर अपराध के केंद्र हैं वे विशेष श्रेणियों में विशेषज्ञ हैं। लेखकों ने अध्ययन में लिखा कि रूस और यूक्रेन अत्यधिक तकनीकी साइबर अपराध केंद्र हैं, जबकि नाइजीरियाई साइबर अपराधी साइबर अपराध के कम तकनीकी रूपों में लगे हुए हैं।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अध्ययन के सह-लेखक मिरांडा ब्रूस ने कहा, अब हमें साइबर अपराध के भूगोल की गहरी समझ है। ब्रूस ने कहा कि गहन तीन साल लंबा शोध साइबर आपराधिक अपराधियों के आसपास गुमनामी के पर्दे को हटाने में मदद करेगा और हमें उम्मीद है कि यह लाभ संचालित साइबर अपराध के बढ़ते खतरे के खिलाफ लड़ाई में मदद करेगा।

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