मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गंभीर अनियमितताओं के मामले में प्रोफेसर रमेश के गोयल को दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (डीपीएसआरयू) के कुलपति पद से तत्काल हटाने का निर्देश दिया। साल 2017 और 2019 में आयोजित शिक्षण संकायों की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं पाई गई है। इस समय गोयल विश्वविद्यालय के शीर्ष पद पर थे। जांच के दौरान समिति को भर्ती में घोटाले का संकेत मिला।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, एलजी ने इस मामले में गृह मंत्रालय से दूसरी एजेंसी से जांच करवाने की सिफारिश की है। मामले में गोयल समेत छह अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने पर सहमति दी। इस घोटाले में कई निजी संस्थान भी शामिल हैं, जिनके प्रमाणपत्रों का उपयोग भर्ती के लिए किया गया था। गोयल के अलावा 6 अन्य, जिसमें बाहरी विशेषज्ञ गोविंद मोहन भी शामिल हैं, के खिलाफ भी बाहरी एजेंसी से जांच की सिफारिश की गई है।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान कुलपति ने निराधार, हेरफेर और भ्रामक उत्तर प्रस्तुत किए। एलजी ने कहा कि गोयल के जवाब, साथ ही प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार की टिप्पणियों और मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, वह इस बात से पूरी तरह से संतुष्ट हैं कि यह स्थापित करने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री मौजूद है कि डीपीएसआरयू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में रमेश.के. गोयल अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहे हैं।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, एलजी ने विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार का कार्यभार देख रहे प्रोफेसर हरविंदर पोपली को भी हटाने के लिए डीपीएसआरयू के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के समक्ष रखने के लिए प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा निदेशालय दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। उपराज्यपाल ने अवैध रूप से नियुक्त संकायों को जिनके नाम कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद जांच रिपोर्ट में शामिल किए गए हैं। इन सभी को हटाने-बर्खास्त करने पर विचार के लिए और ऐसे अधिकारियों/कर्मचारियों को हटाने के लिए जिनके प्रोबेशन पूरा नहीं किया है के खिलाफ उपयुक्त अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के लिए विभाग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, एलजी ने 17 अवैध रूप से चयनित संकायों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने की अनुमति दे दी है, जिन्हें प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया था। जांच रिपोर्ट में हरविंदर पोपली, जसीला मजीद, राजीव टोंक, सुषमा तालेगांवकर, अजीत ठाकुर, महावीर धोबी, शिल्पा जैन, गीता अग्रवाल, अजय शर्मा, ऋचा हिरेंद्र राय, मधु गुप्ता, शीतल यादव, सूरज पाल, पुनिता अजमेरा, मीनाक्षी गर्ग, कुसुमा प्रवीण कुमार और सचिन कुमार के नाम शामिल हैं।
यह अनियमितताएं पाई गई
- कटऑफ निर्धारित नहीं की गई
- अधिकतम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को नहीं बनाया गया सहायक प्रोफेसर
- एसोसिएट प्रोफेसर के पद के लिए उम्मीदवार के साक्षात्कार अंक में बदलाव
- विश्वविद्यालय में 2017 की भर्ती के लिए आरक्षण रोस्टर का पालन न करना
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