मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कच्चाथीवू मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि ये ऐसा मुद्दा नहीं है, जो आज अचानक उठा है। ये मसला संसद और तमिलनाडु में लगातार उठता रहा है, इस पर बहस हुई है। इस मसले पर मैंने मौजूदा मुख्यमंत्री को 21 बार जवाब दिया है।
मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, उन्होंने कहा कि मई 1961 में तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लिखा था, ‘मैं इस छोटे से द्वीप को बिल्कुल भी महत्व नहीं देता और मुझे इस पर अपना दावा छोड़ने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी।’ उनका रवैया ऐसा था कि जितना जल्दी कच्चाथीवू को श्रीलंका को दे दिया जाए, उतना बेहतर होगा। यही नजरिया इंदिरा गांधी का भी था। जयशंकर ने कहा कि कांग्रेस और DMK ऐसा दिखा रही हैं कि उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है और यह अभी-अभी का मसला है। जबकि, उन्होंने ही इसे अंजाम दिया था। जनता को ये जानने का अधिकार है कि 1974 में कच्चाथीवू को कैसे दे दिया गया। DMK लीडर और तब के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि को भी इस समझौते की पूरी जानकारी थी।
जानकारी के लिए बता दे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (31 मार्च) को एक RTI रिपोर्ट का हवाला देकर कहा था कि कांग्रेस ने भारत के रामेश्वरम के पास मौजूद कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था। हर भारतीय इससे नाराज है और यह तय हो गया है कि कांग्रेस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इस RTI रिपोर्ट में बताया गया है कि 1974 में इंदिरा गांधी की सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका को गिफ्ट कर दिया था। प्रधानमंत्री ने अपनी पोस्ट में कहा कि कांग्रेस पिछले 75 साल से भारत की एकता और अखंडता को कमजोर करने का काम करती आ रही है।
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