मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भीषण गर्मी में बिजली की मांग अपने चरम बिंदु पर है। ऐसा लग रहा है कि एक दिन से दूसरे दिन बढ़त बनाने की होड़ लगी हो। मंगलवार को पीक बिजली की मांग 8,647 मेगावाट रही, वहीं इस रिकाॅर्ड को तोड़ते हुए बुधवार को यह मांग 8,656 मेगावाट तक पहुंच गई, जो दिल्ली के इतिहास में सबसे अधिक है। स्टेट लोड डिस्पैच सिस्टम (एसएलडीसी) के आंकड़ों के अनुसार, दोपहर 3:06 बजे अधिकतम मांग दर्ज की गई। मई और जून में कुल 9 बार बिजली की मांग 8,000 मेगावाट के पार गई है। अधिकतम बिजली की मांग पहली बार 22 मई को 8,000 मेगावाट पहुंची थी। गर्मी की वजह से बिजली की मांग बढ़ने से कटौती की समस्या भी आ रही है। बुराड़ी, मुखर्जी नगर, यमुना विहार, लक्ष्मी नगर, उत्तम नगर, द्वारका समेत कई इलाकों में 2-4 घंटे तक बिजली की कटौती हो रही है। बिजली ट्रिप करने की समस्या से भी लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है। वहीं, स्ट्रीट लाइट की लोड शेडिंग भी हो रही है। इस वजह से कई सड़कों पर रात के वक्त अंधेरा रह रहा है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, घरों और कार्यालयों में गर्मी से राहत देने वाले कूलर, एसी, पंखे इन दिनों ज्यादा चल रहे हैं। पूरी रात लोग एसी और कूलर चलाने के लिए मजबूर भी हो रहे हैं। हालांकि एसी किसी घर या कंपनी के सालाना ऊर्जा खर्च का 30-50 फीसदी तक बढ़ जाता है। लिहाजा इस महीने आने वाला बिजली बिल लोगों को रुलाने वाला है। बिजली कंपनियों ने अनुमान लगाया था कि 8,000 मेगावाट इस गर्मी में मांग होगी, इस आंकड़े को भी मांग पार कर गई है। पिछले साल दिल्ली में अधिकतम मांग 7,695 मेगावाट तक दर्ज की गई थी, जबकि इस साल लगातार 30वें दिन पीक बिजली की मांग 7,000 मेगावाट को पार कर गई और मई-जून में आठ बार 8000 मेगावाट को पार की। मई 2023 में ही यह मांग 7,000 मेगावाट को पार नहीं कर गई थी। 2022 में केवल एक बार मई में ऐसी स्थिति आई थी। बिजली कंपनियों का कहना है कि बिजली वितरण नेटवर्क बिजली की इस उच्च मांग को बनाए रखने में सक्षम रहा है।
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