DY Chandrachud: जब मुख्य न्यायाधीश ने उठाया जूनियर वकीलों को कोर्ट में बैठाने का मुद्दा, लग गई स्टूलों की कतार

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DY Chandrachud: जब मुख्य न्यायाधीश ने उठाया जूनियर वकीलों को कोर्ट में बैठाने का मुद्दा, लग गई स्टूलों की कतार
(जब कोर्ट रूम में लग गई स्टूलों की कतार) Image Source : Amar Ujala

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को टोकते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को सुनवाई के बीच में शीर्ष वकील के पीछे खड़े जूनियर वकीलों के लिए बैठने की व्यवस्था पर स्टूलों के इंतजाम का मुद्दा उठाया। मुख्य न्यायाधीश ने मेहता से कहा, ‘मिस्टर सॉलिसिटर, हमारे सभी युवा जूनियर दिन-ब-दिन अपने लैपटॉप हाथ में लेकर खड़े रहते हैं। दोपहर में, कोर्ट मास्टर देखेंगे कि क्या वह उन्हें तुरंत आपके पीछे बिठा सकते हैं।’

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इसपर मुख्य न्यायाधीश को जवाब देते हुए, मेहता ने कहा कि वह भी इसे देख रहे हैं, उन्होंने अदालत कक्ष में उन वकीलों से अनुरोध किया है जो मामले से संबंधित नहीं हैं कि वे उनके लिए कुर्सी खाली कर दें।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘मैंने अभी कोर्ट मास्टर से यह पता लगाने के लिए कहा है कि क्या वह कुछ स्टूल लगा सकते हैं… हम कोशिश करेंगे और कुछ स्टूल लगाएंगे।’ लंच के बाद जब कोर्ट में दोबारा मामले की सुनवाई हुई तो हर कोई हैरान रह गया। अदालत कक्ष में स्टूलों की एक कतार दिखाई दी।

मीडिया की माने तो सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक, चीफ जस्टिस ने युवा वकीलों के लिए बैठने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, दरअसल, मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली नौ-न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस अपील पर सुनवाई कर रही थी कि क्या राज्यों के पास 1990 में सात-न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा उनके खिलाफ दिए गए फैसले के बाद औद्योगिक शराब की बिक्री और निर्माण को विनियमित करने की विधायी शक्ति है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सूत्र ने बताया कि अदालत शुरू होने से पहले सीजेआई ने बैठने की व्यवस्था का निरीक्षण किया। वह अदालत कक्ष में उस स्थान पर पहुंचे जहां वकील खड़े थे और यह जांचने के लिए कि क्या चीजें व्यवस्थित हैं, स्टूल पर बैठ गए। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी निरीक्षण किया कि वकीलों के विचार को अवरुद्ध नहीं किया गया था और यह सॉलिसिटर जनरल के लिए कोई बाधा नहीं थी।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, सॉलिसिटर जनरल ने बताया, ‘मुख्य न्यायाधीश उदारता के प्रतीक हैं। आज का यह कदम न केवल अभूतपूर्व है, बल्कि सभी अदालतों को इसका पालन करना चाहिए। न्यायिक पदानुक्रम के सर्वोच्च पद पर बैठा व्यक्ति किसी के बताए बिना भी युवा वकीलों की परेशानी के प्रति असाधारण रूप से विचारशील है।’

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