मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का इक्विटी प्रवाह 2023-24 में 3.49 प्रतिशत घटकर 44.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया। इसका कारण सेवा, कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, दूरसंचार, ऑटो और फार्मा जैसे क्षेत्रों में निवेश का कम रहना है। 2022-23 के दौरान एफडीआई का प्रवाह 46.03 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, हालांकि, आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में जनवरी से मार्च के बीच एफडीआई का प्रवाह 33.4 प्रतिशत बढ़ा। इस दौरान 12.38 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया, एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 9.28 अरब डॉलर था।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के आंकड़ों से पता चला है कि कुल FD- जिसमें इक्विटी प्रवाह, पुनर्निवेशित आय और अन्य पूंजी शामिल हैं- 2023-24 के दौरान एक प्रतिशत घटकर 70.95 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि 2022-23 में यह 71.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, वर्ष 2021-22 में देश को अब तक का सबसे अधिक 84.83 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्राप्त हुआ था। पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत में मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, केमैन आइलैंड, जर्मनी और साइप्रस सहित प्रमुख देशों से एफडीआई का प्रवाह घटा, जबकि नीदरलैंड और जापान से इसके प्रवाह में वृद्धि हुई।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, क्षेत्रवार आधार पर आकलन से पता चलता है कि सेवा क्षेत्र, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर, ट्रेडिंग, दूरसंचार, वाहन, फार्मा और रसायन क्षेत्र से जुड़े कारोबार में विदेशी निवेश का प्रवाह घटा है। इसके विपरीत, निर्माण (बुनियादी ढांचा) गतिविधियों, विकास और बिजली क्षेत्रों में समीक्षाधीन अवधि के दौरान प्रवाह में अच्छी वृद्धि दिखी। भारत में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 2022-23 के दौरान 22 प्रतिशत कम हो गया था।
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