मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश के किसी भी हिस्सों में मौसमी फ्लू के मामलों में हैरान करने वाली वृद्धि नहीं हुई है। मंत्रालय एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम नेटवर्क के माध्यम से स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है। मंत्रालय ने बताया कि इन्फ्लुएंजा-ए एच1एन1 का पहला मामला 2009 में सामने आया था। मौसमी इन्फ्लूएंजा देश में दो समय चरम पर होते हैं- एक तो जनवरी से मार्च के बीच और दूसरा मानसून के बाद।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बयान में मंत्रालय ने बताया कि अगर दूध को ढंग से उबाला जाए और मांस को पर्याप्त तापमान में पकाया जाए तो लोगों में वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है। बयान में कहा गया मंत्रालय ने बताया कि स्थिति नियंत्रण में है। इन्फ्लूएंजा वायरस के खिलाफ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भी निगरानी कर रहा है। बता दें, मौसमी इन्फ्लूएंजा एक सांस संबंधी बीमारी है, जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होती है। यह विश्व के सभी हिस्सों में फैलता है। इन्फ्लूएंजा संक्रमण का खतरा सबसे अधिक छोटे बच्चे और बुजुर्गों में हैं।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, यह स्ट्रेन 2009 में फैला था। 2009 के बाद जब यह स्ट्रेन पॉजिटिव आता है तो इसको एच1एन1 पेंडमिक कहते हैं। पहले मरीज का इन्फ्लुएंजा ए टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट पॉजिटिव आता है तो मरीज का एच1एन1 किया जाता है। हालांकि 2009 के बाद से इसको सीजनल इन्फ्लूएंजा भी कहा जाने लगा है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह एक संक्रामक रोग है इसलिए इसका संक्रमण मरीज के संपर्क में आने से फैलता है। यह संपर्क कई तरीकों से हो सकता है जैसे, संक्रमित व्यक्ति की छींक के समय निकले संक्रमित द्रव की बूंदों के संपर्क में आने से, संक्रमित व्यक्ति के खांसने से निकली हवा के संपर्क में आने से और यदि संक्रमित व्यक्ति छींकने या खांसने के समय अपने हाथ को लगाता है और फिर इसी हाथ से किसी अन्य व्यक्ति से हाथ मिलाता है।
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