मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एमडीएच और एवरेस्ट मसालों के मामले सामने आने के बाद खाद्य नियामक एफएसएसएआई ने घरेलू बाजार में बेचे जाने वाले फोर्टिफाइड चावल, डेयरी उत्पादों व मसालों जैसे अन्य खाद्य पदार्थों की जांच शुरू करने की योजना बनाई है। फल व सब्जियों, मछली उत्पादों में साल्मोनेला जैसे खाद्य पदार्थों की भी निगरानी की जा सकती है।
मीडिया की माने तो सूत्रों के मुताबिक, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) मसाला, जड़ी-बूटियां, दूध और दूध से बने उत्पादों को भी जांच के दायरे में लाएगा। सिंगापुर और हांगकांग की गुणवत्ता संबंधी चिंताओं को देखते हुए एफएसएसएआई पहले से ही एमडीएच और एवरेस्ट सहित सभी ब्रांडों के मसालों के नमूने ले रहा है। सभी मसालों के नमूने इसलिए लिए जा रहे हैं, ताकि यह जांचा जा सके कि वे एफएसएसएआई मानदंडों को पूरा करते हैं या नहीं। पिछले हफ्ते एफएसएसएआई ने कहा था कि वह नेस्ले के सेरेलैक के नमूने एकत्र करने की प्रक्रिया में है। दावा है कि कंपनी उत्पाद में ज्यादा चीनी का उपयोग कर रही है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में विश्लेषण किए गए नमूनों की संख्या 2020-21 में 1,07,829 से बढ़कर 2023-24 में 4,51,000 से अधिक हो गई है। इस आधार पर तीन गुना ज्यादा नमून लिए गए हैं। 2020-21 में 1,07,829 नमूने लिए गए। 2021-22 में 1,44,345 नमूनों का विश्लेषण किया गया। 2022-23 में 1,77,511 नमूनों का विश्लेषण किया गया। पिछले वित्त वर्ष में 4,51,296 नमूने लिए गए।
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