मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, देश के प्रमुख औद्योगिक घराने और 127 साल पुराने गोदरेज समूह का बंटवारा हो गया है। इस बंटवारे के तहत समूह की सूचीबद्ध कंपनियों का स्वामित्व आदि गोदरेज और उनके भाई नादिर को मिलेगा। वहीं समूह की गैर सूचीबद्ध कंपनियां और गोदरेज समूह का भूमि बैंक चचेरे भाई जमशेद और उनकी बहन स्मिता को मिलेगा। गोदरेज समूह साबुन से लेकर घरेलू सामान, रियल एस्टेट तक फैला हुआ है।
जानकारी के अनुसार, बंटवारे के तहत गोदरेज समूह अब दो हिस्सों में बंट गया है, जिसमें गोदरेज इंडस्ट्रीज की कमान आदि गोदरेज (82 वर्षीय) और उनके भाई नादिर गोदरेज (73 वर्षीय) संभालेंगे। गोदरेज इंडस्ट्रीज में समूह की पांच सूचीबद्ध कंपनियां आती हैं, जिनमें गोदरेज इंडस्ट्रीज, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, गोदरेज प्रोपर्टीज, गोदरेज एग्रोवेट और एस्टेक लाइफ साइंसेज शामिल हैं। इसके चेयरपर्सन नादिर गोदरेज होंगे और इसका नियंत्रण आदि गोदरेज और नादिर के परिवार के पास रहेगा। आदि गोदरेज के बेटे पिरोजशा गोदरेज (42 वर्षीय) गोदरेज इंडस्ट्रीज के कार्यकारी उपाध्यक्ष होंगे। पिरोजशा साल 2026 में नादिर गोदरेज की जगह लेंगे।
मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, वकील से धारावाहिक उद्यमी बने आर्देशिर गोदरेज ने साल 1897 में ताला बनाने के व्यापार शुरू किया और उसमें सफलता पाई। इससे पहले आर्देशिर मेडिकल डिवाइस बनाने के बिजनेस में असफल हो चुके थे। आर्देशिर के बच्चे नहीं थे तो उनका बिजनेस उनके छोटे भाई पिरोजशा को मिला। पिरोजशा के चार बच्चे थे, जिनमें सोहराब, दोसा, बुर्जोर और नवल शामिल थे। समय बीतने के साथ बुर्जोर के बेटों आदि और नादिर, वहीं नवल के बच्चों जमशेद और स्मिता ने परिवार का बिजनेस संभाला। सोहराब के कोई औलाद नहीं थी और दोसा का एक बेटा रिशद था, लेकिन रिशद के भी कोई बच्चा नहीं था। इस तरह पूरा गोदरेज समूह आदि, नादिर, जमशेद और स्मिता द्वारा संचालित किया जा रहा था।
मीडिया के अनुसार, बंटवारे के तहत दोनों पक्षों ने विपक्षी खेमे की कंपनियों के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है। आदि और नादिर ने गोदरेज और बॉयस कंपनी के बोर्ड को छोड़ दिया है, वहीं जमशेद गोदरेज ने गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट लिमिटेड और गोदरेज प्रोपर्टीज के बोर्ड को छोड़ दिया है। साथ ही दोनों पक्ष एक दूसरे की कंपनियों से अपने-अपने निवेश भी निकालेंगे। जमशेद और स्मिता को बंटवारे के तहत जो मुंबई में 3400 एकड़ जमीन मिली है। इसमें से तीन हजार एकड़ जमीन मुंबई के विक्रोली में है। इस जमीन की विकसित होने के बाद कीमत करीब एक लाख करोड़ रुपये आंकी जा रही है। इसमें से एक हजार एकड़ जमीन विकसित की जा सकती है बाकि 1750 एकड़ जमीन पर मैनग्रूव के जंगल हैं, जहां कई दुर्लभ पेड़-पौधे और पक्षियां निवास करते हैं। करीब 300 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा हो चुका है।
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