मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, Google एक मुकदमे को निपटाने के लिए अरबों डाटा को डिलीट करने के लिए राजी हो गया है। यह डाटा गूगल ने प्राइवेट मोड में यूजर्स को ट्रैक करके इकट्ठा किया है। इस मामले में गूगल पर भारी फाइन भी लग चुका है। निपटान की शर्तें सोमवार को ओकलैंड, कैलिफोर्निया संघीय अदालत में दायर की गईं और इसे अमेरिकी जिला न्यायाधीश यवोन गोंजालेज रोजर्स के अप्रूवल की जरूरत है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस समझौते की कीमत करीब 41,676 करोड़ रुपये से अधिक और करीब 65,017 करोड़ रुपये तक आंकी गई है। Google इस मामले के लिए कोई हर्जाना नहीं दे रहा है, लेकिन यूजर्स हर्जाने के लिए कंपनी पर व्यक्तिगत रूप से मुकदमा कर सकते हैं। गूगल पर साल 2020 में एक यह आरोप लगा था कि वह गूगल क्रोम और गूगल एप के इंकॉग्निटो यानी प्राइवेट मोड में भी यूजर्स को ट्रैक कर रहा है।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, गूगल यह काम साल 2016 से कर रहा था। एक यूजर ने आरोप लगाया कि Google के एनालिटिक्स, कुकीज और एप्स अल्फाबेट इकाई को उन लोगों को अनुचित तरीके से ट्रैक करने देते हैं जो Google के क्रोम ब्राउजर या अन्य ब्राउजरों को “निजी” ब्राउजिंग मोड पर सेट करते हैं।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, आमतौर पर यह माना जाता है कि किसी भी वेब ब्राउजर के प्राइवेट मोड में सर्च करने पर सर्च हिस्ट्री नहीं बनती है और आपको ट्रैक नहीं किया जाता है, लेकिन गूगल क्रोम के साथ ऐसा नहीं है, हालांकि भले ही गूगल पर यह भारी भरकम जुर्माना लगा है लेकिन कंपनी इस आरोप से इनकार करती है और कहती है कि वह प्राइवेट मोड से डाटा कलेक्ट करने को लेकर बेहद ईमानदार है।
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