मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नवनिर्वाचित सांसद यूसुफ पठान ने गुरुवार को वडोदरा नगर निगम (वीएमसी) की ओर से जारी उस नोटिस के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया है, जिसमें उन्हें वीएमसी के स्वामित्व वाली एक जमीन पर कथित अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया था। पठान ने अपनी याचिका में कहा कि मामला दस साल से ज्यादा पुराना है और संबंधित भूखंड भी उनके कब्जे हैं। इसलिए वीएमसी को उन्हें अतिक्रमण हटाने और निगम के स्वामित्व वाली जमीन छोड़ने का नोटिस देने के बजाय कारण बताओ नोटिस जारी कर एक मौका देना चाहिए था। उन्होंने यह भी दलील दी कि गुजरात सरकार ने 2014 में उनको जमीन बेचने के वीएमसी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। जबकि राज्य सरकार जमीन की बिक्री से इनकार नहीं कर सकती, क्योंकि यह राज्य सरकार की नहीं बल्कि नगर निगम की जमीन है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, न्यायमूर्ति संगीना विसेन की एकल पीठ ने पठान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील यतिन ओझा की दलीलें सुनीं। इसके बाद उन्होंने वीएमसी के वकील से शुक्रवार को अगली सुनवाई में नगर निकाय का पक्ष रखने को कहा। पूर्व क्रिकेटर पठान वडोदरा के तदलजा इलाके में रहते हैं और विवादित भूखंड उनके घर से सटा हुआ है। उन्होंने लोकसभा चुनाव चुनाव में पश्चिम बंगाल के बहरामपुर निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की है। चुनाव परिणाम चार जून को घोषित किए गए थे। उनके वकील ओझा ने टीएमसी सांसद के रूप में पठाने के चुनाव को नोटिस से जोड़ने की कोशिश की और कहा कि वीएमसी ने दस साल तक कुछ नहीं किया और चुनाव नतीजों के दो दिन बाद अचानक नोटिस भेज दिया। उन्होंने कहा कि पठान को इसलिए नोटिस दिया गया क्योंकि उनकी पार्टी अलग है। लेकिन इस पर न्यायमूर्ति विसेन ने वकील से कहा कि वह मुद्दे से न भटकें और मुख्य मुद्दे पर ही टिके रहें। मामले के विवरण के अनुसार, यह वीएमसी के स्वामित्व वाला एक आवासीय भूखंड है। वर्ष 2012 में, पठान ने वीएमसी से इस भूखंड की मांग की थी, क्योंकि उसका घर उस भूखंड से सटा हुआ था। उन्होंने इसे बाजार दर के अनुसार खरीदने की पेशकश की थी। हालांकि, पठान को जमीन बेचने के प्रस्ताव को वीएमसी ने 2014 में मंजूरी दे दी थी, लेकिन राज्य सरकार ने अपनी मंजूरी नहीं दी, क्योंकि वही इसका अंतिम प्राधिकरण थी। ओझा ने कहा कि हालांकि, तब से यह जमीन पठान के ही कब्जे में है। ओझा ने कहा कि वीएमसी ने यूसुफ पठान और उनके क्रिकेटर भाई इरफान पठान को उनके योगदान के लिए यह भूखंड देने का फैसला किया था, क्योंकि वे इस प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के समय भारतीय टीम में थे। उन्होंने दलील दी कि वीएमसी को प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के समय ही जमीन आवंटित कर देनी चाहिए थी।
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