कलम के जादूगर सलीम खान आज अपना 88वां जन्मदिन मना रहे है। सलीम खान बॉलीवुड की 70 के दशक की फिल्मों को उनकी कहानी, इमोशन, हीरो का गुस्सा और रिश्तों में दिखाई जाने वाली गहराई के लिए जाना जाता है। शोले, दीवार, त्रिशूल, काला पत्थर, शक्ति जैसी दमदार फिल्मों से ही अमिताभ बच्चन को एंग्री यंग मैन का खिताब मिला। इन सभी फिल्मों में एक बात कॉमन है कि इनके लेखक सलीम-जावेद हैं। इस जोड़ी (सलीम खान और जावेद अख्तर) ने बॉलीवुड को दुनिया में पहचान दिलाने वाली फिल्में दीं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक दौर था जब पोस्टर पर राइटर्स का नाम नहीं लिखा जाता था। लेकिन सलीम खान ने इस परंपरा को तोड़कर एक नया दौर शुरू किया।
आज 24 नवंबर को सलीम खान अपना 88वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर जानते हैं बॉलीवुड के ट्रेंड को बदलने वाला ये चौंकाने वाला किस्सा। सलीम खान के बेटे अरबाज खान के टॉक शो में एक बार जावेद अख्तर ने शिरकत की थी। उस समय उन्होंने इस किस्से को सुनाया था। उन्होंने बताया कि फिल्मों में पहले राइटर्स को क्रेडिट नहीं दिया जाता था। जब सलीम-जावेद ने ‘जंजीर’ की कहानी लिखी तो फिल्म के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर प्रकाश मेहरा से कहा कि उन्होंने फिल्म के पोस्टर में उनका नाम भी होना चाहिए। लेकिन प्रकाश मेहरा ने फिल्म में उनका नाम देने से मना कर दिया। इसके बाद जावेद अख्तर ने कहा, “हमने कहा, साहब हमारा भी तो नाम लिखिए, तो उन्होंने कहा- राइटर का नाम पोस्टर पर? ऐसा होता है क्या कभी?- हमने कहा अच्छा, ऐसा नहीं होता! तो प्रोडक्शन में एक सुरेश नाम का आदमी था, वो सिप्पी फिल्म का आदमी था, उसे बुलाया हमने, ये आइडिया सलीम साहब का था, मेरा कम था। इस तरह के आइडिया उन्हीं को आते हैं। उन्होंने कहा एक काम करो, दो जीला लो, जितने मुंबई में पोस्टर, बोर्ड, किओस्क लगे हैं, सब पर कहीं भी रिटन बाय सलीम-जावेद पोत दो, जो आदमी थे उन्होंने ऐसा कर दिया।” इसके से हर फिल्म में राइटर्स को क्रेडिट दिया जाने लगा।
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