मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय मिसाइल निर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए भारतीय वायु सेना ने अपने Su-3O और LCA तेजस लड़ाकू विमानों के लिए एस्ट्रा एयर टू एयर मिसाइलों के उत्पादन के लिए डीआरडीओ और बीडीएल को मंजूरी दे दी है। हाल ही में भारतीय वायु सेना के डिप्टी चीफ एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित की हैदराबाद यात्रा के दौरान डीआरडीओ और बीडीएल संयोजन को इस कार्यक्रम के लिए मंजूरी दी गई। सीनियर रक्षा अधिकारियों ने इंडिया टुडे को बताया कि डीआरडीओ इस प्रोजेक्ट के लिए विकास एजेंसी है, जबकि बीडीएल इसके लिए उत्पादन एजेंसी है। इस प्रोग्राम को भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा मंजूरी दी गई थी, जिसके तहत 2022-23 में दोनों सर्विसेज के लिए 248 मिसाइलों का उत्पादन किया जाना था। हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की एस्ट्रा सीरीज एस्ट्रा प्रोग्राम का हिस्सा है, जिसका मकसद भारतीय सशस्त्र बलों की हवाई युद्ध क्षमताओं को बढ़ाना है। एस्ट्रा मार्क 1 मिसाइल, मार्क 2 की पूर्ववर्ती है, जिसे पहले ही भारतीय वायु सेना और नौसेना दोनों में सफलतापूर्वक शामिल किया जा चुका है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, स्वदेशी मिसाइल निर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए, भारतीय वायु सेना ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) को 200 एस्ट्रा मार्क 1 एयर-टु-एयर मिसाइलों के उत्पादन के लिए मंजूरी दे दी है। एस्ट्रा मार्क 1 मिसाइलों को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की ओर से विकसित किया गया है, जिसकी उत्पादन एजेंसी बीडीएल है। भारतीय वायु सेना के अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में भारतीय वायु सेना के डिप्टी चीफ एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित की हैदराबाद यात्रा के दौरान बीडीएल को उत्पादन की मंजूरी मिली है। उन्होंने कहा, “आईएएफ के उप प्रमुख ने डीआरडीओ की रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला का दौरा किया था, जो एस्ट्रा मिसाइलों के लिए विकास एजेंसी है।” रक्षा सूत्रों ने कहा, “रक्षा अधिग्रहण परिषद की ओर से 2,900 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजना के लिए 2022-23 में मंजूरी दी गई थी और सभी परीक्षणों और विकास के पूरा होने के बाद अब उस ऑर्डर के लिए उत्पादन मंजूरी दे दी गई है।” रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) इस परियोजना के लिए नोडल लैब है। एस्ट्रा मिसाइलों को उत्पादन के बाद रूसी मूल के Su-30 और स्वदेशी LCA तेजस लड़ाकू विमान दोनों में इंटीग्रेटेड (एकीकृत) किया जाएगा।
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