IIIT लखनऊ के दूसरे दीक्षांत समारोह में शामिल हुई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

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Source: @rashtrapatibhvn
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का उत्तर प्रदेश के दो दिवसीय दौरे का आज आखिरी दिन है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी यानी IIIT लखनऊ का आज दूसरा दीक्षांत समारोह है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बतौर चीफ गेस्ट के तौर पर समारोह में शामिल हुई। मीडिया की माने तो, राष्ट्रपति को अपने बीच पाकर मेधावी छात्र-छात्रायें बेहद खुश हुए और उनका तालियों के साथ स्वागत किया। इस मौके पर राष्ट्रपति ने संस्थान के छात्र-छात्रों को मेडल व डिग्री देकर सम्मानित किया। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ भी पहुंचे हैं।

जानकारी के मुताबिक, संस्थान के दूसरे दीक्षांत समारोह को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संबोधित भी किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि भारत आईआईआईटी के छात्रों से आशा करता है कि शिक्षा के क्षेत्र में सर्वोच्च मानकों पर खरे उतरेंगे बल्कि उत्कृष्टता और सर्वश्रेष्ठता मानदंड स्थापित करेंगे। आईआईआईटी संस्थान को भारत का बुनियाद बनाकर क्षेत्रीय भाषाओं में ज्ञान अर्जित करने की सोच एक सकारात्मक कदम है। यह कदम भाषायी सीमाओं में आने वाली बाधाओं को दूर करने पर एक बड़ा कदम साबित होगा। राष्ट्रपति के अलावा कार्यक्रम में यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

संस्थान के दूसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने युवाओं को शुभकामनाएं दी और कहा कि, मैंने अभी देखा है कि आपके संस्थान के लोगों में विद्या ददाति विनयम को उल्लेखित किया है जिसका अर्थ है विद्या विनय देती है और विनय से पात्रता आती है। पात्रता से धन आता है और धन से धर्म आता है। धर्म से सुख प्राप्त होता है। मुझे आशा है कि आप सब अपने संस्थान के ध्येय के अनुकूल आचरण करते हुए भविष्य का निर्माण करेंगे।”

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, “आज भारत के पास 5D है- मांग, जनसांख्यिकी, लोकतंत्र, इच्छा और सपना। यह 5D हमारे विकास की यात्रा में अत्यंत लाभकारी होंगी। हमारी अर्थव्यवस्था जो एक दशक पहले 11वें पायदान पर थी आज 5th सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और वर्ष 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।” उन्होंने कहा कि, “AI एवं अन्य समकालीन तकनीकी विकास असीमित एवं अभूतपूर्व विकास संबंधी एवं परिवर्तनकारी संभावनाएं प्रदान करता है। लेकिन हमें महात्मा गांधी का यह कथन भी याद रखना होगा ‘चरित्र के बिना ज्ञान पाप है’ यह आवश्यक है कि, AI प्रयोग के साथ उत्पन्न हुई नैतिक दुविधाओं का निराकरण सबसे पहले हो।”

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