मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान और ईरान के संयुक्त बयान में कश्मीर मुद्दे का जिक्र होने के मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, इस मामले को ईरानी पक्ष के समक्ष उठाया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, उन्होंने इस मामले को ईरानी अधिकारियों के सामने उठाया है। गौरतलब है कि पाकिस्तान और ईरान ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि कश्मीर मुद्दे को क्षेत्र के लोगों की इच्छा के आधार पर शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जाना चाहिए। ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की पहली पाकिस्तान यात्रा के बाद यह बयान जारी किया गया। रईसी ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के निमंत्रण पर 22-24 अप्रैल तक पाकिस्तान की आधिकारिक यात्रा की।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, क्या राष्ट्रपति रईसी की तरफ से भारत का दौरा करने का प्रस्ताव आया है? इस सवाल पर विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘उनके राष्ट्रपति की यात्रा के बारे में उचित समय पर सूचित किया जाएगा। सब कुछ तैयार होने और कार्यक्रम को अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, ईरान से जुड़े एक अन्य अहम घटनाक्रम के बारे में सवाल पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस्राइल से संपर्क होने कारण ईरान ने जिस जहाज को पकड़ा है उस पर सवार 17 भारतीयों में से एक महिला सुरक्षित स्वदेश लौट चुकी है। जहाज पर सवार अन्य सदस्य सुरक्षित हैं। इन सभी को कॉन्ट्रैक्ट की शर्तें पूरी होने के बाद भेज दिया जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, अन्य 16 लोगों तक कॉन्सुलर एक्सेस की मांग की थी। मंजूरी के बाद हमारे अधिकारियों ने उनसे मुलाकात की है। उनकी सेहत ठीक है और जहाज पर उन्हें कोई परेशानी नहीं है।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, विदेश मंत्रालय के मुताबिक जहां तक भारतीय लोगों के लौटने का सवाल है तो इस बारे कुछ तकनीकी और निविदा से संबंधित अड़चनें हैं। सभी पेचीदा मामलों के सुलझने के बाद उनके लौटने की राह खुल जाएगी। गौरतलब है कि इस मामले में राजदूत इराज इलाही ने कहा था कि जहाज पर सवार भारतीय कैद नहीं हैं बल्कि कहीं भी जाने के लिए आजाद हैं।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, रईसी की पाकिस्तान यात्रा के दौरान एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी था जिसमें विदेश मंत्री अमीर अब्दुल्लाहियन, साथ ही कैबिनेट के अन्य सदस्य और वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। ईरानी राष्ट्रपति की पाकिस्तान यात्रा के समापन पर जारी संयुक्त बयान में कश्मीर मुद्दे का उल्लेख इसलिए भी आपत्तिजनक है क्योंकि भारत ने हर मंच पर इस बात को बार-बार दोहराया है कि कश्मीर का मुद्दा भारत का आंतरिक मामला है और इसमें किसी भी देश का बाहरी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा। भारत कई अन्य देशों के ऐसे बयानों को भी सिरे से खारिज करता रहा है।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, ईसी का पाकिस्तान दौरा पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के कारण भी चर्चित रहा क्योंकि इस्राइल और हमास के हिंसक संघर्ष के करीब सात महीने बीतने के बाद ईरान ने इस्राइल पर हमला किया। इससे युद्धग्रस्त क्षेत्र में तनाव और गहराने लगा। अमेरिका ने भी इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ईरान और पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी भी दी थी।
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