Indian Army: ‘भविष्य में सशस्त्र बलों से भारत की विकास गाथा में योगदान की बढ़ेंगी उम्मीदें’, जनरल पांडे बोले

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Indian Army: 'भविष्य में सशस्त्र बलों से भारत की विकास गाथा में योगदान की बढ़ेंगी उम्मीदें', जनरल पांडे बोले
(जनरल मनोज पांडे) Image Source : Amar Ujala

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने शुक्रवार को कहा कि रणनीतिक सीमा के विस्तार के साथ भारत के हित बढ़ रहे हैं। ऐसे में सशस्त्र बलों के लिए यह जरूरी है कि वे न केवल सुरक्षा क्षेत्र में बल्कि राष्ट्र के विकास में योगदान देने की दिशा में भी अपनी जिम्मेदारी के प्रति सगज रहें। वह मानेकशॉ सेंटर में आयोजित द्वितीय लेफ्टिनेंट जनरल पीएस भगत स्मृति व्याख्यान समारोह में बोल रहे थे।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उन्होंने जनरल भगत को एक ऐसा दूरदर्शी व्यक्ति बताया जो अपने समय से बहुत आगे चलते थे। जनरल पांडे ने कहा, 1965 के युद्ध के बाद लिखी गई किताब ‘द शील्ड एंड द स्वॉर्ड’ में जनरल भगत ने भारत के खिलाफ चीन की रणनीति की आलोचना की है। उन्होंने एक पेपर भी लिखा था- ‘द चाइनीज माइंड: व्हाट विल चाइन डू नेक्स्ट’। सात दशक पहले चीन के बारे में उनकी भविष्यवाणी आज सही साबित हुई है।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, लेफ्टिनेंट जनरल भगत द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान विक्टोरिया क्रॉस हासिल करने वाले पहले भारतीय अधिकारी थे। भगत जन्म अक्तूबर 1918 में हुआ था। दुश्मन के सामने महान बहादुरी के लिए विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया जाता है। जनरल पांडे ने कहा, राष्ट्र आज अपने नागरिकों की बढ़ती आकांक्षाओं के साथ प्रगति और विकसी उल्लेखनीय यात्रा की शुरुआत कर रहा है।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कहा, देश की सुरक्षा पर किसी भी तरह से कोई असर न पड़े और उसकी प्रगति निरंतर जारी रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए सशस्त्र बलों की भूमिका सर्वोपरि है। लेकिन सशस्त्र बलों से भारत की विकास गाथा में योगदान करने की उम्मीदें भविष्य में बढ़ेंगी। जनरल पांडे ने कहा, चूंकि राष्ट्र की रणनीतिक सीमाओं का विस्तार हो रहा है, इसलिए हमारे लिए जरूरी है कि हम न केवल सुरक्षा क्षेत्र में, बल्कि राष्ट्र के विकास में योगदान देने की दिशा में अपनी जिम्मेदारी के प्रति सजग रहें।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सेना प्रमुख ने कहा, भारतीय सेना में पिछले दो साल पहले जो बदलाव किए गए हैं, वह आधुनिक, चुस्त, खुद को प्रोद्योगिकी से लैस करने वाली और भविष्य में आत्मनिर्भर बनाने वाली सेना को आकार देने के प्रयासों का हिस्सा है। उन्होंने कहा, बदलाव का रोडमैप पांच स्तंभों के भवन पर खड़ा है, जो बल पुनर्गठन और अनुकूलन, आधुनिकीकरण, प्रणाली, प्रक्रियाओं और कार्यों में सुधार, मानव संसाधन प्रबंधन और संयुक्तता और एकीकरण हैं।

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