मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस वर्ष नौसेना के कमांडरों के सम्मेलन का पहला संस्करण पांच मार्च से शुरू हो रहा है। इस बार यह सम्मेलन हाइब्रिड होगा। इसका पहला चरण समुद्र में आयोजित किया जाएगा। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में रक्षा मंत्री दोनों विमानवाहक पोतों को देखने के लिए समुद्र में उतरेंगे। ये पोत भारतीय नौसेना की ट्विन कैरियर ऑपरेशंस संचालित करने की क्षमता को प्रदर्शित करेंगे।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्री नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस), भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के प्रमुख भी नौसेना के कमांडरों के साथ भी सामान्य राष्ट्रीय सुरक्षा माहौल सुनिश्चित रखने पर चर्चा करेंगे। वे देश में तथा भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा में तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और तत्परता बढ़ाने के उपाय भी तलाशेंगे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, नौसेना के कमांडरों का सम्मेलन मंगलवार से शुरू होगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नौसेना के शीर्ष कमांडर मंगलवार को अरब सागर में नौसेना के दो विमानवाहक पोतों में से एक विमानवाहक पोत पर होने वाले सम्मेलन में भारत की समुद्री सुरक्षा चुनौतियों की समीक्षा करेंगे।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि द्विवार्षिक नौसेना कमांडरों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में रक्षा मंत्री नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे। वह दोनों विमानवाहक पोतों की क्षमता को देखने के लिए समुद्र में उतरेंगे। ”ट्विन कैरियर आपरेशंस” में विमानवाहक आइएनएस विक्रांत और आइएनएस विक्रमादित्य युद्ध क्षमता को प्रदर्शित करेंगे।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल (सीडीएस) अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी नौसेना कमांडरों के साथ कई मुद्दों पर संवाद करेंगे। सम्मेलन के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करने की संभावना है, जिसमें हिंद महासागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता के साथ-साथ हाउती आतंकियों द्वारा लाल सागर और आसपास के क्षेत्रों में विभिन्न मालवाहक जहाजों को निशाना बनाने से उत्पन्न स्थिति भी शामिल है।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार को कर्नाटक के कारवार में भारतीय नौसेना के रणनीतिक बेस पर कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। इन्हें जिन्हें हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के दीर्घकालिक सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जा रहा है।
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