Indian Navy: समुद्री सीमा को और सुरक्षित बनाने की पहल, डीआरडीओ से चार तापस ड्रोन खरीदेगी भारतीय नौसेना

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Indian Navy: समुद्री सीमा को और सुरक्षित बनाने की पहल, डीआरडीओ से चार तापस ड्रोन खरीदेगी भारतीय नौसेना
(डीआरडीओ से चार तापस ड्रोन खरीदेगी भारतीय नौसेना) Image Source : Social Media

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय नौसेना समुद्री क्षेत्र पर निगरानी और चौकस करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की तरफ से विकसित किए गए ड्रोन का इस्तेमाल करना चाहती है। रक्षा अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया, कि भारतीय नौसेना चार तापस ड्रोन का ऑर्डर देने जा रही है और भारतीय नौसेना इन ड्रोन का समुद्री निगरानी अभियानों के लिए इस्तेमाल करेगी। इस ड्रोन का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के एक समूह की तरफ से किया जाएगा। रक्षा अधिकारियों ने बताया, समूह की तरफ से डिलीवरी तेजी से की जाएगी, क्योंकि पहला ड्रोन अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के 24 महीने के भीतर डिलीवरी के लिए तैयार हो जाएगा। इस ड्रोन का इस्तेमाल परीक्षण करने और उनकी क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए किया जाएगा। तापस ड्रोन परीक्षण में रक्षा बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं रहे हैं, लेकिन डीआरडीओ के तापस ड्रोन प्रोजेक्ट को मध्यम-ऊंचाई, लंबी-धीरज (एमएएलई) को और विकसित करने के लिए कर रहा है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट लेबोरेटरी की तरफ से विकसित किए जा रहे तापस ड्रोन लगातार 24 घंटे से अधिक समय तक 30 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरने की संयुक्त सेवा गुणात्मक आवश्यकताओं को पूरी तरह से पूरा नहीं कर पाए हैं। और यही वजह है कि उन्हें मिशन मोड परियोजनाओं की श्रेणी से बाहर रखा गया है। तापस ड्रोन का परीक्षण रक्षा बलों की तरफ से किया गया है और इस परीक्षणों के दौरान ड्रोन 28 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचने में सफल रहे और 18 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर पाया। वहीं भारतीय नौसेना के अधिकारियों की तरफ से कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एक हवाई क्षेत्र से एक परीक्षण के दौरान ड्रोन को उड़ान भरने के बाद कुछ घंटों के लिए अरब सागर के ऊपर चलाया गया था। सूत्रों के मुताबिक, तापस ड्रोन को उड़ान भरने के लिए जरूरी रनवे की लंबाई बहुत लंबी नहीं है और इसका उपयोग द्वीप क्षेत्रों और मुख्य भूमि के कुछ छोटे हवाई क्षेत्रों से किया जा सकता है।

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