नई दिल्ली : आज राष्ट्रपति के चुनाव की मतगणना पूर्ण होने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि देश की 15वीं राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू होंगी। वे NDA की उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मैदान में थीं। जबकि विपक्ष ने उनके विरोध में यशवंत सिन्हा को खडा किया था। तदापि राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना के परिणाम आने के बाद श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने यशवंत सिन्हा को बड़े अंतर से हराया है। इस चुनाव में मतगणना के पश्चात् श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को 2824 वोट मिले जबकि यशवंत सिन्हा को 1877 वोट मिले। इस प्रकार NDA राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने अपने प्रतिद्वंदी यशवंत सिन्हा को लम्बे मतों के अंतर से पराजित कर यह स्पष्ट कर दिया कि वे अब भारत की 15वीं राष्ट्रपति होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भारत का 15वां राष्ट्रपति घोषित किए जाने पर दिल्ली में उनके आवास पर जा कर बधाई दी। देश के केंद्रीय मंत्रियों और अनेक प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को बधाई दी है।
देश के इतिहास में पहली बार कोई आदिवासी महिला श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के रूप में राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुईं हैं। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के घर की सुरक्षा बढा दी गई है और उनके घर SPG के जवान पहुँच गए हैं। वे 25 जुलाई को भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी।
देश की 15वीं राष्ट्रपति : श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का संक्षिप्त परिचय
श्रीमती द्रौपदी मुर्मू एक भारतीय महिला राजनेत्री हैं। भारत के सत्तारूढ़ NDA ने भारत के अगले राष्ट्रपति के लिये उनको अपना प्रत्याशी घोषित किया जिसमें वे विजयी हुईं और देश की 15वीं राष्ट्रपति पद के लिए चुन ली गईं। इसके पहले श्रीमती द्रौपदी मुर्मू 2015 से 2021 तक झारखण्ड की राज्यपाल थीं।
मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का जन्म २० जून १९५८ को ओड़िशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडु था। उनके दादा और उनके पिता दोनों ही उनके गाँव के प्रधान रहे। इनका विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ। उनके दो बेटे और एक बेटी हुए। परन्तु उनके दोनों बेटों और उनके पति की असमय मृत्यु हो गयी। उनकी पुत्री विवाहिता हैं जो कि भुवनेश्वर में रहतीं हैं।
श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने एक अध्यापिका के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन आरम्भ किया। उसके बाद धीरे-धीरे राजनीति में आ गयीं। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में राइरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ किया था। उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं है।
श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट पर दो बार जीती और विधायक बनीं। ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया था। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू मई 2015 में झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई थीं। झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब भी श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के नाम रहा। साथ ही वह किसी भी भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी महिला भी हैं।