मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आज भारत साल की शुरुआत खगोल विज्ञान के सबसे बड़े रहस्यों में से एक ब्लैक होल के बारे में जानकारी जुटाने के लिए उपग्रह भेज कर करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के इस पहले एक्स-रे पोलरीमीटर उपग्रह यानी ‘एक्सपोसैट’ को रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) सी 58 महज 21 मिनट में अंतरिक्ष में 650 किमी ऊंचाई पर ले जाएगा। इस रॉकेट का यह 60वां मिशन होगा। इस मिशन में एक्सपोसैट के साथ साथ 10 अन्य उपग्रह भी पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित होंगे।
जानकारी के लिए बता दें कि, मिशन के लिए रविवार सुबह 8:10 बजे से उलटी गिनती शुरू कर दी गई। प्रक्षेपण सुबह 09:10 बजे चेन्नई से 135 किमी दूर मौजूद श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष-अड्डे के प्रथम लॉन्च पैड से होगा। इसरो ने बताया कि एक्सपोसैट 5 साल काम करने के लिए बना है, यानी साल 2028 तक इसे काम में लिया जाएगा। प्रक्षेपण के लिए 44.4 मीटर ऊंचा पीएसएलवी-डीएल प्रारूप का रॉकेट बनाया गया है। इसका लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान 260 टन होगा। यह सबसे पहले पृथ्वी से 650 किमी ऊंचाई पर एक्सपोसैट को स्थापित करेगा। यह करने के लिए इसे लिफ्ट-ऑफ के बाद 21 मिनट लगेंगे। यहां काम खत्म नहीं होगा।
मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उपग्रहों को स्थापित करने के बाद वैज्ञानिक पीएसएलवी-सी 58 को पृथ्वी की ओर 350 किमी की ऊंचाई तक लाएंगे। इसके लिए रॉकेट में शामिल किए जा रहे चौथे चरण का उपयोग होगा। यहां पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल – 3 (पोयम 3) परीक्षण अंजाम दिया जाएगा। यह बता दें कि अप्रैल 2023 में पीएसएलवी सी 55 रॉकेट के साथ भी इसरो ने पोयम परीक्षण किया था।
10 अन्य उपग्रह भी होंगे स्थापित
– रेडिएशन शील्डिंग एक्सपेरिमेंट मॉड्यूल, इसे टेक मी 2 स्पेस कंपनी ने बनाया
– महिलाओं का बनाया उपग्रह, जिसे एलबीएस महिला तकनीकी संस्थान ने तैयार करवाया
– बिलीफसैट, एक रेडियो उपग्रह जो केजे सोमैया तकनीकी संस्थान ने शौकिया तौर पर बनवाया
– ग्रीन इम्पल्स ट्रांसमीटर, इसे इंस्पेसिटी स्पेस लैब ने बनाया
– लॉन्चिंग एक्सपीडिशंस फॉर एस्पायरिंग टेक्नोलॉजीस टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर उपग्रह, इसे ध्रुव स्पेस ने बनाया
– रुद्र 0.3 एचपीजीपी और आर्का 200, दोनों उपग्रह बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस ने विकसित किए
– डस्ट एक्सपेरिमेंट, जिसे इसरो के पीआरएल ने बनाया
– फ्यूल सेल पावर सिस्टम और सिलिकॉन आधारित उच्च ऊर्जा सेल, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने बनाया
जानकारी के लिए बता दें कि, इस उपग्रह का लक्ष्य सुदूर अंतरिक्ष से आने वाली गहन एक्स-रे का पोलराइजेशन यानी ध्रुवीकरण पता लगाना है। यह किस आकाशीय पिंड से आ रही हैं, यह रहस्य इन किरणों के बारे में काफी जानकारी देते हैं। पूरी दुनिया में एक्स-रे ध्रुवीकरण को जानने का महत्व बढ़ा है। यह पिंड या संरचनाएं ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे (तारे में विस्फोट के बाद उसके बचे अत्यधिक द्रव्यमान वाले हिस्से), आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद नाभिक आदि को समझने में मदद करता है। इससे आकाशीय पिंडों के आकार और विकिरण बनाने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी।
Image Source :nasa.gov
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