मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भविष्य में लॉन्च किए जाने वाले अंतरिक्ष यानों के लिए इसरो ने एक बड़ी जानकारी दी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा 2,000 किलोन्यूटन के सेमी क्रायोजेनिक इंजन को तैयार किया जा रहा है। यह इंजन लिक्विड ऑक्सीजन (एलओएक्स) कैरोसीन की मदद से चलेगा। मार्क-3 (एलवीएम-3) अंतरिक्ष यान की पेलोड क्षमता को बढ़ाने और और भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में तेजी लाने के लिए इसरो द्वारा यह तैयारी की जा रही है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इसरो के अनुसार सेमी-क्रायोजेनिक इंजन प्रणाली के विकास के लिए लिक्विड ऑक्सीजन सिस्टम का होना बेहद आवश्यक है। बताया गया है कि ऐसा इंजन को तैयार करने की दिशा में इसरो का पहला प्रयास सफल रहा है। इसका संकेत सेमी क्रायो प्री बर्नर के सफल प्रज्जवलन से मिला है। इसरो के महेंद्रगिरी स्थित संचालन कॉम्प्लेक्स में इस मॉड्यूल को तैयार करने और परीक्षण करने का काम किया जा रहा है।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, इसरो का कहना है कि इंजन को तैयार करने के लिए एक प्री-बर्नर प्रज्ज्वलन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। प्री-बर्नर के द्वारा इंजन को ताकत मिलती है। महेंद्रगिरी स्थित परीक्षण केंद्र में पहला प्रज्ज्वलन परीक्षण दो मई को किया गया था और यह सफल रहा। प्री-बर्नर का सुचारू और निरंतर प्रज्वलन सेमी-क्रायोजेनिक इंजन की शुरुआत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, इसरो ने बताया कि सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के प्रज्जवलन के लिए एक खास तरह के इंधन का उपयोग किया जाता है। यह इंधन ट्राइथाइल एल्युमनाइड और ट्राइथाइल बोरोन के संयोजन से बनता है। इस इंधन को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में तैयार किया गया है और इसका इस्तेमाल पहली बार इसरो के 2000 किलोन्यूटन के सेमी क्रायोजेनिक इंजन के लिए किया जाएगा। इसरो का कहना है कि लिक्विड रॉकेट इंजन सिस्टम को तैयार करने की दिशा में प्रज्ज्वलन की प्रक्रिया सबसे अधिक महत्वपूर्ण रही। इसके लिए कई तरह के चरणों से गुजरना पड़ा है।
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